अपनी हिंदी

अपनी हिंदी 

आओ बात करें हिंदी की,
शीर्ष पर सजी बिंदी की,
मोती से अक्षर से सजती,
हिंदी हर धड़कन में बसती।

मीठी, मधुर है भाषा अपनी,
जिसका ना है कोई सानी,
अक्षर, शब्दों और वाक्यों से,
नित नई रचती काव्य – कहानी।

अपने अथाह साहित्य सागर से ,
हिंदी सबका परिचय करवाती,
मन के भावों की सुंदरता,
हिंदी में महक – महक जाती।

हिंद देश के हैं हम वासी ,
हिंदी का बढ़ाएँ हम मान,
हिंदी ने है अलख जगाई,
हिंदी पर हमको अभिमान।

देश ही नहीं विदेश में भी,
करें हिंदी का प्रचार – प्रसार,
गुड़ सी मीठी भाषा अपनी,
पाए दुनिया में विस्तार।


डॉ. विनीता अशित जैन,
अजमेर,राजस्थान,भारत।

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