भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- बीजू पटनायक

बीजू पटनायक

रत्नगर्भा  भारत भूमि ने अपने गौरव के अनुरूप अनेक मानव रत्नों को जन्म दिया है जिनकी कीर्ति अक्षुण्ण रहेगी वरन्  यूँ कहें कि आगामी समय में वे प्रेरणा के स्त्रोत्र बन वांछनीय मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम होंगे। ऐसे ही एक असाधारण व्यक्तित्व का नाम बीजू पटनायक है । वे एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी, बुद्धिमान राजनीतिज्ञ , राजनैतिक नेता और भारत के उदाहरणीय पुत्र थे। उनमें अनगिनत विशिष्टताओं का समावेश था ।
उनका पूरा नाम बिजयानंद पटनायक था। उन्होंने
5 जून 1916 में उडी़सा के बेलगुंठा नामक नगर में
जन्म लिया था। वे मेधावी थे, शीघ्र ही उन्होंने व्यवसाय करना आरंभ कर दिया था।
वे रेवेंशा कालेज, कटक के मेधावी छात्र थे तत्पश्चात 1930 में  दिल्ली के फ़्लाइंग क्लब में रहकर उन्होंने विमान चालक का विधिवत् प्रशिक्षण प्राप्त किया था।वे वैमानिकी अभियंता ( इंजीनियर), विमानचालक थे किंतु राजनीति में सदैव उनकी रुचि थी।

वे निजी एयरलाइंस ( private airways) के लिये काम किया करते थे,उन्हें कमांडर भी नियुक्त किया गया था किंतु कुछ समय पश्चात उन्होंने “राॅयल इंडियन एयरफो़र्स”  में काम करना प्रारंभ कर दिया ।

“भारतीय स्वतंत्रता संग्राम” में उन्होंने बहुत सहयोग दिया था ।वे “भारत छोडो़” आंदोलन के भारतीय जवानों के लिये हवाई जहाज़ से पर्चे गिराते थे। उन्हे साहसी व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है, वे ऐसे निडर विमानचालक थे जिन्होंने इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री सहित मुख्य नेताओं को बचा कर सुरक्षित पहुँचाया था।
1947 में जब हिंदु मुस्लिम एक दूसरे को मारकाट रहे थे, उस समय दूरदर्शन के” रामायण” सीरियल के निर्माता रामानंद सागर को सपरिवार और ऐसे ही अनेक लोगों को बचा कर भारत में सुरक्षित पहुँचाया था।
बीजू पटनायक क्रांतिकारियों की सहायता करते थे उन्हें गुप्त स्थान पर पहुँचा दिया करते थे, उन के पर्चे बाँटते थे,जहाज़ से गिराते थे इसलिये उन्हें विमान चालक के पद से निलम्बित कर दिया गया, जेल में डाल दिया गया ।

बीजू पटनायक वैमानिकी इंजीनियर, विमान चालक होने के साथ सूक्ष्म एवं चतुर राजनीतिज्ञ भी थे। वे तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू  जी के सुरक्षा सलाहकार भी थे।
वे अत्यंत उद्यमी ,उत्साही,दूरदर्शी  एवं सच्चे नेता थे।

बीजू जी को सूक्ष्म और कुशल शिल्पकार माना जाता है क्योंकि आधुनिक उडी़सा के रचियता और सुधारक बीजू जी ही हैं।सन् 1945 से ही उन्होंने अपने प्रदेश की प्रगति के लिये कार्य प्रारंभ कर दिया था।भुवनेश्वर ,उडी़सा की राजधानी, में O.U.A.T.,सैनिक स्कूल,अनेक नवीन व्यवसाय आदि आरंभ कर दिये थे
जिसमें U.N.E.S.C.O. ने भी सहयोग प्रदान किया था।आज इन्हें अत्यंत विकसित रूप में देखा जा सकता है।
बीजू पटनायक दो बार प्रांत के मुख्य मंत्री पद पर आसीन हुए।यही वह समय था जब बीजू जी ने  पूरे प्रांत को उन्नति एवं समृद्धि की ओर अग्रसर किया।
उन्होंने “कलिंग एयर लाइंस” का गठन करवाया ,जो सहायता कार्य तथा आवश्यक स्थानों पर फूड पैकेट आदि डालने का काम करती थी। अन्य अनेक कार्यों के मध्य उन्होंने अपनी संस्कृति पर भी ध्यान दिया।शनैः शनैः उन्होंने आदिवासी महिलाओं की स्थिति देखते हुए सभी स्थानों पर महिलाओं के लिये 35 प्रतिशत आरक्षण नियम बनाया,उस की अभ्यर्थना की गयी। तत्पश्चात उस नियम का अनुकरण भी किया गया ।

सन्1945 से ही राजनीति के प्रति उनका रुझान था यहाँ तक कि उन्होंने “उत्कल कांग्रेस” नाम राजनैतिक दल की स्थापना भी की थी, कुछ समय पश्चात उस का नाम परिवर्तित कर दिया गया । सन्1977 में जब मोरारजी देसाई देश के प्रधान मंत्री थे, उस समय बीजू जी को इस्पात एवं खणिज मंत्री नियुक्त किया गया था।

वे कला, संगीत तथा संस्कृति प्रेमी थे। बीजू जी के प्रयत्नों के फलस्वरूप ही  भारतीय जाति के इतिहास में जगन्नाथ संस्कृति को स्थान एवं विकास प्राप्त हुआ। संस्कृति के महत्व को प्रतिष्ठापित करने के उद्देश्य से ही 1992 में “बाली यात्रा” को आरंभ किया,जो आज बडे़ पैमाने पर मनाया जाता है। उडी़सा प्रांत के चतुर्मुखी विकास के माध्यम से उन्होंने यह प्रमाणित कर दिया कि वे सच्चे राजनीतिज्ञ थे।

आज के विकसित उडी़सा प्रांत के निर्माण के सच्चे वास्तुशिल्पकार बीजू जी हैं। उनके प्रयास अभिनंदनीय हैं।
बीजू पटनायक जी “सादा जीवन उच्च विचार” के ज्वलंत उदाहरण हैं। सर्वसाधारण के साथ उनके बहुत मधुर संबंध थे। एक प्रांत का मुख्य मंत्री जनसाधारण के मध्य बाइसाइकिल  चलाता हुआ देखा जाये, सादगी का इस से अधिक सटीक उदाहरण और क्या होगा ! वे अत्यंत लोकप्रिय नेता थे। लोग उनका आदर करते थे और प्रेम भी ।

17 अप्रैल 1997, वह कुदिन था जब बीजु जी सब को विदा कर स्वर्गवास कर गये।
उनके पुत्र नवीन पटनायक जी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए प्रदेश के विकास के लिए सुव्यवस्थित एवं उत्तम कार्य कर रहे हैं।
आज भी पूरा प्रांत बीजू जी को स्मरण करता है और उनकी सद्गति के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
बीजू पटनायक जैसे राजनेता कभी मरते नहीं वरन्
दूसरों के लिए ऐसे मार्ग बना कर छोड़ जाते हैं, जिस पर लोग सदैव उनका अनुकरण करते रहते हैं।

मंजुला अस्थाना महंती

भुवनेश्वर, भारत

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