स्वातंत्र्योत्तर भारत के निर्माण में श्री अजीम प्रेम जी का योगदान
- स्वातंत्र्योत्तर भारत के निर्माण में श्री अजीम प्रेम जी के योगदान का मूल्यांकन करने के लिए हमें तात्कालिक परिस्थतियों का अवलोकन करना होगा। श्री अजीम प्रेम जी का जन्म 24 जुलाई, 1945 को मुंबई के निजारी इस्माइली शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था।उस समय आपके पिता मुहम्मद हाशिम प्रेम स्वतंत्र भारत के स्थापित व्यवसायी थे।किंतु ब्रिटिश नीतियों व पक्षपात से क्षुब्ध होकर आपने 1945 में अपना चावलों का कारोबार त्याग दिया तथा वनस्पति घी बनाने का कार्य प्रारम्भ किया।आपके पिता जी का वर्मा में चावलों का सफल व्यापार था।एक समय आपका बर्मा में चावलो का व्यापार अत्यधिक उत्थान पर था उस समय आपको ’राइस किंग आफ बर्मा’ कहा जाता था।
अंग्रेजों की दासता से मुक्त होने के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु जी स्वतंत्र भारत को प्रगतिशील व आत्मनिर्भर बनाने के लिए दृढ़संकल्पित थे।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी भी देश के युवाओं से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सेवाभाव से काम करने की अपील कर रहे थे।देश की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए पूंजीपतियों,धनिकों,व्यापारियों,उद्योगपतियों से देश के नव निर्माण में सहयोग देने की अपेक्षा की जा रही थी।भारत की स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने मुहम्मद हाशिम प्रेम के समक्ष पाकिस्तान चलकर वहीं बसने व व्यापार करने का प्रस्ताव रखा ,जिसे आपके पिता जी ने अस्वीकार कर दिया तथा भारत को अपना वतन मानते हुए यहीं रहकर अपने व्यापार के माध्यम से देश की आर्थिक प्रगति में अपना योगदान देने का निश्चय किया।कालांतर में आपने ” वेस्टर्न इंडियन विजेटेबल प्रोडेक्ट्स लिमिटेड” नामक कम्पनी की स्थापना कर वनस्पति घी तथा कपड़े धोने का साबुन बनाने का उद्योग प्रारम्भ कर दिया।आपने जिस भी क्षेत्र में हस्तक्षेप किया , जमकर परिश्रम करते हुए उच्च कीर्तिमान स्थापित किए।ऐसे परिश्रमी व अमीर घराने में जन्में श्री अजीम प्रेम जी की प्रारम्भिक शिक्षा- दीक्षा मुंबई में हुई।तत्पश्चात आप उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए।किंतु जब 1966 ईस्वी में आपके पिता मुहम्मद हाशिम प्रेम जी का निधन हो गया तो आप इंजनीयरिंग की पढ़ाई छोड़कर भारत आ गए।युवा अजीम प्रेम जी ने भारत आकर अपने पिता की औद्यौगिक विरासत की कमान अपने हाथ में ले ली।इक्कीस वर्षीय युवा के द्वारा कम्पनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने पर कम्पनी के एक महत्वपूर्ण शेअर होल्डर ने आशंका व्यक्त की कि यह अनुभवहीन युवा कहीं कम्पनी को घाटे में लाकर ताले न जड़वा दे। लेकिन अपने पिता जी से विरासत में परिश्रम का पाठ सीखे हुए अजीम प्रेम जी ने अत्यंत लगन व निष्ठा से कार्यकर कम्पनी के लाभ को कई गुणा बढ़ा दिया।फिर देखते ही देखते अजीम प्रेम जी भारत के अग्रणी कारोबारियों में शामिल हो गए। अपने समर्पित भाव से काम करने की प्रेरणा से वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी प्रोत्साहित करते रहते हैं। एक बार का संस्मरण है कि बगंलूरु में कंपनी के परिसर में आप जहां अपनी कार प्रतिदिन पार्क करते हैं , उनके विलम्ब से आने पर खाली जगह देखकर किसी अधीनस्थ कर्मचारी ने अपनी कार वहा पार्क कर दी।कम्पनी के प्रबंधन विभाग के संज्ञान में जब यह बात आयी तो उन्होंने उस स्थान को अजीम प्रेम जी की कार पार्किंग स्थल घोषित करते हुए अन्य कर्मचारियों से उस आरक्षित स्थल पर कार पार्क न करने का आदेश पारित कर दिया।यह पूरा प्रकरण जब अजीम प्रेम जी को पता चला तो उन्होंने कम्पनी प्रबंधन के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि इसके स्थान पर मुझे यह प्रयास करना होगा कि मैं कार्य हेतु सही समय पर अपने परिसर पहुंचू।
कहा जाता है कि दौलत तो कोई भी कमा सकता है किंतु धन -दौलत के साथ दानशील हृदय रखना दुर्लभ होता है। इस संदर्भ में अजीम प्रेम जी अनूठे उदाहरण कहे जा सकते हैं। आपने अपनी भावना को व्यक्त करते हुए कहा है कि-‘अमीर होने में रोमांच नहीं मिला’ ।अतः आपने अपनी पूंजी व धन को समाज के आकांक्षी वर्ग के उपयोग में लाने का निर्णय लिया।आप जब दुनिया के नामी गिरामी प्रसिद्व धनी ’वारेन बफेट’ तथा बिल गेट्स’ के अभियान में शामिल होकर गिविंग प्लेज का हिस्सा बने तो फिर परोपकार व दानशीलता को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया।रिचर्ड ब्रेनसन तथा डेविड सेंसबरी के बाद आप तीसरे गैर अमेरिकी हैं जो इस परोपकारी संस्था के सदस्य हैं। तत्पश्चात आपने अपनी संपति का 25 प्रतिशत हिस्सा दान देकर समाजोपयोगी कार्य करने का निश्चय किया। अपका मानना है कि संसार के कतिपय चुनींदा व्यक्ति ही संयोग से अपरिमित धन रखने के अधिकारी होते हैं ।ऐसे विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को उन लोगों के लिए, जो कि अपेक्षाकृत बिल्कुल निर्धन वर्ग के हैं , अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा अवश्य दान करना चाहिए।आप इस प्रेरणा वाक्य के अनुगामी बनकर अविरल रुप से समाजोपयोगी कार्य में संलग्न हैं।आप अब तक अरबों रुपए की चैरिटी कर चुके हैं।आपने दिसंबर , 2010 में भारत में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में दो अरब अमेरिकी डालर दान देने का संकल्प लिया था।आपने दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के आधारभूत ढांचे से वंचित प्राथमिक विद्यालयों में स्कूली शिक्षा के उत्थान के लिए अजीम प्रेम जी फाउंडेशन को खड़ा किया है। अजीम प्रेम जी फाउंडेशन समय -समय कर कार्यशालाएं आयोजित कर शिक्षकों को नवाचारी अध्यापन हेतु प्रशिक्षित करने का कार्य करती है। इसके साथ ही बच्चों के शिविर स्थापित कर गीत,गानों कविताओं,नाटकों,पोस्टर,प्रोजेक्टर,कंप्यूटर आदि के माध्यम से अभिनव प्रयोग परीक्षण भी किए जाते हैं।शिक्षकों व शिक्षा जगत से जुड़े विद्वानों , विषय विशेषज्ञों के साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य कर रहे साहित्यकारों, कवियों,लेखकों,संस्कृतिकर्मियों ,रंगकर्मियों की सेवाएं लेकर फाउंडेशन विभिन्न योजनाएं संचालित करती रहती है।स्कूली पाठ्यक्रम में आवश्यकतानुसार संशोधन करना,उत्सुक शिक्षकों को समूहबद्व करना,स्कूलों में जाकर परीक्षा संबंधी प्रश्न पत्र,मूल्यांकन व प्रगति पत्र के निर्माण प्रकि्रया में तकनीकी सुझाव देना भी फाउंडेशन का लक्ष्य रहता है।
अजीम प्रेम जी की पहचान आज भारत ही नहीं अपितु विश्व के जाने माने कारोबारी के रुप में हैं।आप एक उद्योगपति व धनिक व्यक्ति के साथ ही प्रसिद्व दानवीर के रुप में अपनी अलग पहिचान बनाए हुए हैं।इसके अतिरिक्त आप प्रमुख आई0 टी0 कम्पनी विप्रो (1980)के फाउंडर भी हैं।वर्तमान में विप्रो का नेट वर्थ तीन लाख 46 हजार 537 करोड़ रुपए पंहुच गया है।
2005 में आपको भारत सरकार ने” पद्म भूषण
2011 में “पद्म विभूषण ” सम्मान से सम्मानित किया है।
आपको एशिया वीक मैगजीन ने सन 2000 में विश्व के सर्वाधिक बीस शक्तिशाली लोगों में शुमार किया था।फोर्ब्स मैगजीन ने आपको 2001 से 2003 की अवधि में विश्व की पचास सर्वाधिक धनी लोगों की सूची में शामिल किया था।2004 में टाइम पत्रिका ने आपको विश्व के सर्वाधिक सौ शक्तिशाली लोगों में शामिल किया था।वर्तमान में आपकी कुल सम्पति नौ बीलियन से भी अधिक मानी जाती है।आपको भारत का बिल गेट्स भी कहा जाता है।- कहना अतिश्योक्ति न होगा कि कंप्यूटर,आई0 टी0 सेक्टर,शिक्षा जगत,व्यापार,आर्थिकी,उद्योग के साथ साथ पोषण,विकलांगता,अभावग्रस्त क्षेत्रों में सहायता व समाजोपयोगी अभियानों के संचालक श्री अजीम प्रेम जी आधुनिक भारत की प्रगति में विशिष्ट योगदान दे रहे हैं। अजीम प्रेम जी जैसी विभूतियां ही देश को विश्व पटल पर नवीन कीर्तिमानों के साथ नयी पहचान दिलाती हैं।आजादी के महोत्सव पर्व की बेला में ऐसी विभूति के योगदान को रेखांकित करना उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है।
- नीरज नैथानी
उत्तराखण्ड