स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही धन है

हे मानव! जो करते हो अपने जीवन से प्यार,
तो सदा ही बनाना अनुशासित आधार।
सुबह सवेरे उठकर करना थोड़ा सैर,
देर तक सोने से रखना सदा बैर।
नित्यकर्म से होकर निवृत्त तुम,
थोड़ा करना कसरत योगासन भी तुम।
तन को भोजन सदा सरल देना,
पानी जूस पदार्थ तरल पीना।
खान-पान का रखना है ध्यान ज़रूरी
जंक फूड से बना लेना सदा दूरी।
तन को स्वस्थ तभी रख पाओगे
जब मन को खुश रख पाओगे।
अगर नकारात्मकता से दूषित हो जाए मन
तो अस्वस्थ हो जाता है मनुष्य का तन
है ये अनमोल वचन स्वास्थ्य है सबसे बड़ा धन
बिन इसके मनुष्य है सबसे बड़ा निर्धन।

हे मनुष्य! अकेले नहीं तुम इस धरती के प्राणी,
चाहिए सभी को पौष्टिक खाना और पानी।
याद रखो पेड़-पौधे सा हरे तुम भी बन जाओगे
जब धरा को हरियाली दे पाओगे।
लेना देना जब संतुलित हो जाएगा,
तब शरीर, मन, प्रकृति, समाज स्वस्थ हो पाएगा।

मोल स्वास्थ्य का अगर नहीं समझ पाओगे,
सोचो फिर अपने जीवन में क्या कर पाओगे?

रूपा कुमारी “अनंत”

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