मैं भूत बनकर आऊँगी
मैं भूत बनकर आऊँगी
सुनो, मैं भूत बनकर आऊँगी
ये जो मैं रोज़ तिल-तिल कर मरती हूँ ना
उससे मैं थोड़ा-थोड़ा भूत बनती हूँ
मुझे यक़ीन है,
मैं जल्द ही पूरा मर जाऊँगी
मैं जल्द ही पूरा बन जाऊँगी
सुनो, मैं भूत बन कर आऊँगी
और तुम्हारी गंदी नज़रों की
रेखाओं को ९० अंश पे झुका कर
तुम्हें तुम्हारा ही गंदा-घिनौना
रूप दिखाऊँगी
ये मत समझना,
कि मैं पीपल में लटकी रहूँगी
या शमशान में भटकती रहूँगी
मैं पान की टपरी में तुम्हारे बाजू में
खड़े होकर अपने होंठ लाल करूँगी
मैं भूत बन कर आऊँगी
मैं रात को १२ बजे मोमबत्ती लिए
वीराने में नहीं भटकूँगी
मैं बाइक पे आऊँगी
और जब तुम अपनी मर्दानगी के
नशे में चूर पब से बाहर निकलोगे
तो ज़ोर की एक लात मारकर
तुम्हें चारों खाने चित्त कर दूँगी
मैं, मैं भूत बन कर आऊँगी
मैं अपने लम्बे नाख़ूनों की
धार तेज़ कर रही हूँ
तंग गलियों में जब तुम्हारे
हाथ इधर-उधर बढ़ेंगे
तो अपने तेज़ नाख़ूनों से
तुम्हारी कलाई की नस काट दूँगी
तुम्हारा जो ख़ौफ़ है ना,
उससे भी ख़ौफ़नाक भूत बनकर
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
मैं भूत बन कर आऊँगी
तुम्हें क्या लगता है,
मुझे गर्भ से गिरवा दिया तो
मैं चली जाऊँगी
नहीं, मैं भूत बन जाऊँगी
तुम्हें तुमसे ही डराने के लिए
तुम्हारे वीर्य में जाके बस जाऊँगी
मैं भूत बन कर आऊँगी
ये भी मत समझना,
सदियाँ लगेंगीं मुझे भूत बनने में
और मेरी ज़िंदगी नरक बना के
तुम अपनी ज़िंदगी आराम से जी लोगे
‘डारविंस थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन’
तो पता होगा ना
मैं इवॉल्व हो जाऊँगी
मैं इवॉल्व हो रही हूँ
मेरे मानस की रीढ़ भी अब सीधी हो रही है
मैं और मेरा भूत,
अब साथ साथ बढ़ रहे हैं
लो, मैं भूत बन भी गयी
जीता जागता भूत
ख़बरदार…
ऋचा जैन
ब्रिटेन