समय

समय

आदिकाल से भविष्य का चक्र।
हर होने से, न होने का नियम,
जो है उसके ख़त्म होने का संयम ।

अदि, अंत, अनंत।
देव, मानव,पाताल लोक का विभाजन,
सागर मंथन भेद से सर्व लोक समीकरण ।।

युग निर्माण, समाज परिवर्तन ।
सत्य,त्रेता, द्वापर से कलि का बदलाव,
रामराज्य में सीताहरण, कलि में सती का ठहराव ।।

समय ! निम्न से दिव्य की यात्रा ।
सूक्ष्म पतंगों का जन्मकाल,
विशालकाय जीव का निर्धारित नियमकाल ।।

रूप – निरूप का भेद ।
दृश्यम परे अंतर्मन का संवाद,
महाशक्ति में विलीनता का नाद ।।

समय ! साक्ष्य है जीवित, निर्जीव, जन्मे, अजन्मे का ।
हर स्थिरता के अस्थिर होने का,
निरंतर परिवर्तित होता समय,
अनंत में स्थायी अस्थायी केवल समय ।।

सवाल

मेरे कुछ सवाल हैं, पूछना चाहती हूँ!
समझदारों की समझदारी को और समझना चाहती हूँ ।
कुछ रिवायतें हैं,
उनका मक़सद जानना चाहती हूँ।

ये कौन हैं जो धर्म समझते हैं?
धर्म क्या कहता है, क्यों कहता है, कैसे जानते हैं?
संस्कृत आती नहीं, वेद पढ़े नहीं,
फिर भी पांचाली के चरित्र पर प्रश्न उठाते हैं!

धर्म युद्ध पर कसीदे पढ़ने वाले, कौन सी महाभारत जानते हैं?
गांधारी हरण हुआ था, ये पता नहीं,
शकुनि को दुष्कर्मी ठहराते हैं!

ये कौन सा समाज नर नारी विश्लेषण करता है?
विश्लेषण का मायाजाल, पंडित पूजा करता है!
पूजा चाहे हो माता की, ख़ुद को औरत से ऊपर तोलता है,
लेकिन मुख पे पहले लक्ष्मी फिर नारायण बोलता है!

क्यों अधिकार आदि शक्ति का सिर्फ़ मूर्ती को होता है?
उन मूर्तियों से भारी जीवित नारी जीवन होता है,
फिर भी ख़ुद को नर नारी का स्वामी समझता है!

ये कौन से ज्ञानी हैं जो नियम बनाते हैं?
कैसे हुआ, मासिकधर्म को अपवित्र ठहराते हैं?
उसी धर्म से बनी ये दुनिया पवित्र होती है,
क्या नर को एहसास है, लहू पसीने सा बहे तो कैसी अड़चनें होती हैं!

कौन है जो नारी अधिकारों की बात करता है?
अधिकार तो असमान को समानता देता है,
नारी नर के समान नहीं, ये कोई कैसे कहता है!

ये कौन हैं जो प्रेम पे सवाल उठाते हैं?
कृष्ण की बाँसुरी ता-उम्र राधा बजाती थी, क्या ये जानते हैं?
रासलीला शब्द का बारम्बार छलावा छलते हैं,
मीरा और राधा एक सी थी, ये कितने लोग समझते हैं!

कृष्ण केवल प्रेमी था, ये कैसा अट्टहास है?
सोलह वर्ष की आयु में, त्यागी बनने पे परिहास है,
आज किसी के लेखे-जोखे में क्या अर्जुन कृष्ण का इतिहास है!

ये सब कहना सुनना आसान लगता है,
पर उस लगने को समझना चाहती हूँ।
ख़ुद को धर्मी कहने वाले महान हैं,
उनके भीतर बसे धर्म को टटोलना चाहती हूँ।

मेरे कुछ सवाल हैं, उनसे और सवाल उठाना चाहती हूँ।
किसी एक के अंतर्मन को भेद दे,
ऐसा जवाब माँगना चाहती हूँ ।।

सायंतनी साहा चौधरी
झारखंड, भारत

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