बापू की अमर कहानी

बापू की अमर कहानी

आओ बच्चों तुम्हें दिखाये ,
स्वतंत्रता की अजब ग़ज़ब ये गाथायें हैं
बापू की ये अमर कहानी हैं !
नोटो की हरियाली में आज भी छाये रहते हैं !
आओ बच्चों तुम्हें दिखाये ,
आज़ादी बलिदानो की ये सुंदर गाथा !
अपनी माता से बढ़ कर थी ,
मातृभूमि की रक्षा ऐसे वीर जवानो की ये गाथा !
भारत की माताओं ने इतिहास रचा था
मूल संस्कार भारतमाता की शिक्षा थी !
पढ़ते हो ,आज भी तुम सब ,
कर्मठ अडिग वीरों की सच्चाई
अच्छाई की निर्मल गाथा
मानचित्र मूक बधिर खड़ा हैं
रेखाओं से अंकित इनकी गाथायें है
सीमाओं पर डटे देख रहे है इनकी गाथायें !
अपना भी कुछ ज्ञान देख बढ़ाओ !
अपनी गाथा से माँ बहनो की लाज बचाओ , संस्कार अभी भी ज़िन्दा हैं !
स्वतंत्रता की आन में ,
जान की बाज़ी लगा कर
दूध का क़र्ज़ निभाया था ! बापू के
तीन ही बन्दर ,सत्य ,अहिंसा ,परमोधर्म
चौथा बन्दर लक्ष्य गाथा संग साथ रहेगा !
बापू की दैनंदिनीय जीवनसंग़नी साथ चलेगी !
सात वचन फेरे ले क़समें खाई
!सादा जीवन उच्य विचार !
आज़ादी की प्रथम लड़ाई ,
थका नहीं था मन मरा नही था !
बढ़े क़दम हर क़दम में साथ चले थे !
मिल गई आज़ादी थी ,बिना खडग ढार के मानवता का पाठ सिखाया !
बापू की सुन्दर डायरी
इतिहास बना साकार खड़ा हैं !
जनता के जंत्तर मत्तर में आज भी बापू के सिद्धांत बन खड़े हैं !
बापू ने इतिहास बनाया कमज़ोर नही
लाचार नही मीठी उनकी वाणी थी !
स्वत्रंतता का बिगुल बजा तिरंगा फहराया था
देशहित राष्ट्रहित उत्साह जगाया !
दो अक्टूबर दो माताओं के लाल
का जन्म दिवस है आया
आधुनिक भारत माता का लाल था
मितव्यता शिक्षा साकार रूप दिया
संकट की वो विषम घड़ी थी
देश जगाने आया था
जय जवान जय किसान नारा दिया था
लाल बहादुर शास्त्री वो कहलायें थे
देश की आन बान शान से
विदेश में मौत गले लगाया था
स्वतंत्र भारत के इतिहास में बापू ,शास्त्री
अमर गाथा क़ुर्बानी है
अपनी अलग पहचान बनाई थी !
साथ दिया कस्तूरबा ने अर्धागनी बन संग साथ रहेंगे !सादा जीवन उच्य विचार !
आज़ादी की प्रथम लड़ाई ,
थका नहीं था मन मरा नही था !
बढ़े क़दम हर क़दम में साथ साथ चले थे !
मिल गई आज़ादी थी ,बिना खडग ढार के मानवता का पाठ सिखाया !
बापू की सुन्दर डायरी इतिहास बना साकार खड़ा हैं !
जन मन के जंत्तर मत्तर में आज भी बापू के सिद्धांत बन खड़े हैं !
बापू ने इतिहास बनाई लाचार नहीं कमज़ोर नहि मीठी उनकी वाणी थी !
स्वत्रंतता का बिगुल बजाया तिरंगा फहराया देश हित राष्ट्रहित जन मन उत्साह जगाया !
श्रीमती अनिता शरद झा आद्या
रायपुर छत्तीसगड़ ।
लघुकथा
विषय -बुरी आदत
नमन ने कहा – मम्मी आज दो अक्टूबर याने हमारी छुट्टी का दिन है । पापा और आपकी भी छुट्टी है । पापा ने कहा था ना , कहाँ जाना है सोच कर बता देना ।सब मिलकर इंजाय करेंगे ।
मम्मी टीचर जो थी । बिना सवाल जवाब के घर से निकलना संभव नही होता ।जब तक मम्मी को परम संतुष्टि ना मिल जाये । पापा कहते मम्मी को मना लो ,तुम्हें जहाँ चाहो ले कर जा सकते ।
मम्मी ने प्रश्न दागना शुरू किये – दो अक्टूबर छुट्टी क्यों मनाई जाती है ?
नमन ने कहा – मेरा भी जन्मदिन दो अक्टूबर क्लास 2 का स्टूडेंट हुँ । मुझे बहुत ख़ुशी होती है । इन दो महापुरुषों गाँधी बाबा ,लाल बाबा की जन्म तिथि भी इसी दिन होती है ।
और इन्ही की वजह से पापा और आप आज के दिन कोई समय का प्रतिबन्ध नही लगता ,
नित्य कर्म दिनचर्या मेरे अनुसार जब चाहो जैसा उठो ,खाओ ,पहनो ,खेलो ,पढ़ाई ना करने आप की लोगो डाँट ,मारपीट से वंचित रहते । इन्हें याद कर के ही , ख़ुशियों से दोस्तों के साथ
मिलकर जन्म दिन की ख़ुशियाँ आप लोगों के साथ मनाता हुँ ।
मम्मी ने कहा – ये सारी बातें तो तुमने अपने बारे बताई , कान्वेंट स्कूल के छात्र हो , हैपी क्रिसमस के विषय में सब कुछ पता है ।
मेरे सरकारी स्कूल के बच्चों से गये गुज़रे हो ? तो मम्मी आप ही मुझे बता दीजिए ।
मम्मी ने कहा – एक देश एक राज्य तभी सफल नेतृत्व कर सकता है । जब उनमें गांधी शास्त्री की तरह – झूठ नही बोलना , ईमानदारी से डट कर सामना करना ,
सम्मान ,अभिमान से सेवा, मितव्यता , कर्म लक्ष्य मान अपने मन घर के आसपास के वातावरण को शूद्ध , समर्पण की भावनाओं को उजागर कर अपने जीवन में मधुरता का रस घोल एक सफल नागरिक बनना बनाना है राष्ट्रहित में ख़ुद को समर्पित करना यही पहचान थे ।
उनके महान कृत्वयों के कारण उन्हें याद कर मनाया जाता है । इस तरह उनमें किसी भी प्रकार की बुरी आदतें नही थी । समझ गये ना ?
नमन ने कहा -हाँ मम्मी मुझे याद आ गया बापू के ३ बंदर दिखा मिस ने यही कहा था । पर आपने बहुत सरल शब्दों बताया ।
महात्मा गाँधी का भजन वैष्णव जन को तेने कहिये पीर पराई जानिये “!!!!
लाल बहादुर शास्त्री का नारा “जय जवान जय किसान “ !!!! । ये इन्ही महात्माओं का है । मम्मी ने सुनकर कहा – तुम तो सफल नागरिक बनोगे । चलो तुम्हारी मन चाही जगह चलते है । नमन ने कहा -पोरबन्दर चलते है ।

अनिता शरद झा
रायपुर,भारत

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