प्रतिबंध
बेटियां खिलखिलाती रहनी चाहिए
बेटियों के खिलखिलाने से बसते हैं घर
बेटियां मुस्कुराती रहनी चाहिए
बेटियों के मुस्कुराने से बसते हैं घर..
पर बेटियों को खुलकर मुस्कुराने
या फिर खिलखिलाने की इजाज़त ही कब थी?
लड़कियां यू़ँ बिना बात के खीं खीं करती अच्छी नहीं लगती
यहीं तो कहते रहे मां बापू चुनिया और मुनिया से
यू़ंँ दीदे फाड़ कर हंसोगी
तो ससुराल वाले क्या सोचेंगे?
कोई अक्ल न सिखाई छोरियों को मां बाप ने?..
सुन बंतिये, पहले चौंके चूल्हे में ध्यान लगा ले
हर वक्त बत्तीसी मत निकालकर बैठ जाया कर
चल बापू और बंते के खेत से आने से पहले रोटियां सेंक डाल
ये सहेलियों के साथ गप्पें मारना बाद विच हो जावेगा..
कमला! बड़े भाई के साथ साथ ही स्कूल से घर वापस आना
रास्ते में चुपचाप आंखें नीचे कर चलती रहना
यह न हो कि कमल को कोई दोस्त मिल जाए
और तो तू दीदे फ़ाड़ फ़ाड़ कर उन्हें देखती रहे
लड़कों की तो आदत होती है हंसी ठिठोली करने की..
सुना है अपने शर्मा जी की बेटी रीता पड़ोसी के लड़के के साथ भाग गई
अरे जवान लड़कियों के हंसने बोलने पर लगाम नहीं लगाओगे
तो बस ऐसे ही गुल खिलाएंगी
मेरी वंदना को देखो, मजाल है कि कभी जोर जोर से ठहाके लगा कर हंसे..
देख यार! वह सामने मुस्कान आ रही है
कितनी मस्त लगती है न बिल्कुल अपने नाम की तरह
और तूने कालेज की कैंटीन में देखा था इसे कल खुशी के साथ खिलखिलाते हुए
इसके मोतियों जैसे दांत..ओए होए
जी कर रहा था अभी कसकर पकड़ कर किस….
यह मिस मारिया कैसे अपने क्लाइंट्स के साथ
हर समय खुशी खुशी बात करती हैं
तभी तो सभी खुश रहते उससे..अपना खड़ूस बॉस भी
ऐसे ही तो नहीं एक साल में ही प्रमोशन दे दी उसको..
यह चुनिया, मुनिया, बंती हो या फिर कमला
रीता, वंदना, मुस्कान, खुशी या फिर मारिया
सब हर समय दिल से चाहती हैं हंसना मुस्कुराना
जोर जोर से ठहाके लगाना या फिर खिलखिलाना
इनकी हंसी, इनकी खुशी में अभी भी है कुछ कमी
समाज की कुंठित मानसिकता के नीचे जो सदियों से है दबी
आधुनिकता की पहरन पहनने के बावजूद भी
ना जाने क्यों इनके चेहरे की मुस्कान अब भी है बनावटी..
चलो आंगन में फिर से इनकी खिलखिलाहटों की धूप बिखरा दें
चहुं दिशाओं को इनके कहकहों की गूंज से महका दें
इनकी खुशी से ही खुश रहेगी कायनात सारी
फिर क्यूं न इनके होंठों पर प्यारी सी मुस्कान सजा दें..
सीमा भाटिया