नमक का दरोगा

नमक का दारोगा

हिंदी साहित्य के इतिहास में उपन्यास और कहानियों की बात हो और मुंशी प्रेमचंद का नाम न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। प्रेमचंद युगांतकारी कथाकार हैं ।इनकी कहानियों में किसानों की दयनीय दशा सामाजिक बंधनों में तड़पती नारियों की वेदना वर्ण व्यवस्था का खोखलापन हरिजनों की पीड़ा आदि का बड़ा ही मार्मिक चित्रण है ।भाषा शैली अत्यंत ही सरल सुबोध तथा स्वाभाविक जिसमें मुहावरों कविता का समावेश है।
नमक का दरोगा एक लघु कथा है जो मुझे बहुत पसंद है। ईमानदारी का संदेश देती यह कहानी एक ईमानदार नमक निरीक्षण को केंद्र में रखकर लिखी गई है।नमक का दरोगा अत्यंत ईमानदार , आदर्शवादी व्यक्ति है। घूस देकर उसे बिगाड़ने में सभी असमर्थ हैं। सरकार उसे शक्ति से उचित कार्रवाई करने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर देती है किंतु जिस सेठ की घुस उसने अस्वीकार की थी उसी ने उसे ऊंचे पद पर नियुक्त किया।
कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है ।कहानी के माध्यम से यह शिक्षा दी गई है की एक बेईमान स्वामी भी एक ईमानदार कर्मचारी की चाह रखता है। संसार में सत्कर्म का फल सुखद होता है। गांव का पंच भी व्यक्तिगत विद्वेष और शिकायतों को भूल कर सच्चा न्याय करता है।ईमानदारी का पाठ पढ़ाती ये कहानी समाज के यथार्थता को दर्शाती है।ईमानदारी का पाठ पढ़ाती ये कहानी समाज के लोगों कोआदर्श बनने की प्रेरणा देती है।

बी अपर्ना तिवारी
सिकन्दराबाद,भारत

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