कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद जी इस युग के महान कथा सम्राट हैं । मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित उनका जीवन परिचय करता है। आदर्शोनुमुख, यथार्थवाद , प्रेमचंद साहित्य की मुख्य विशेषता है । इनके जीवन का सफर बहुत कठिन था पर उनका आत्मबल ,उनका आत्मविश्वास ,इतना प्रबल था कि उन्होंने हर आंधी तूफान को हल्की बयार की तरह सह लिया। गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने 23 साल पुरानी सरकारी नौकरी छोड़कर अपने राष्ट्र भक्त होने का पुख्ता सबूत दिया। नौकरी छोड़कर वह बिल्कुल बेसहारा हो गए थे । दो वक्त की रोटी का भी कोई भरोसा नहीं था । यह बातें कहीं ना कहीं मेरी आत्मा को झझकोर देती है । आखिर कैसा अनोखा होगा उनका मनोबल, कैसी अनोखी होगी उनकी देशभक्ति और कितना सशक्त होगा वह इंसान , कितना निस्वार्थ जीवन होगा उनका।

आपने कभी तितली के प्रजनन की क्रिया को देखा है । वह बहुत ही कष्टप्रद होती है । कैटरपिलर लार्वा के चारों तरफ एक कड़ा खोल बन जाता है । उसे प्यूपा कहा जाता है बहुत कष्ट प्रद तरीके से तितली इस प्यूपा से बाहर निकलती है । यदि उसके इस क्रिया को आसान बनाने की कोशिश की जाए तो वह मर जाती है । तम्माम कष्ट सहने के बाद उसमें से एक सुंदर कोमल तितली बाहर निकलती है। उसका दिमाग बहुत तेज होता है । उसमें देखने सुनने , स्वाद चखने के अलावा जगह को पहचानने की अद्भुत क्षमता होती है । इसे पढ़कर मेरा मन बार-बार यह सोचने पर विवश हो रहा था कि जीवन की राहों पर आती हुई परेशानियां ,मुसीबतें इंसान में इतनी गहराई, इतनी सहनशीलता, इतनी सृजनशीलता ,इतनी विचार शीलता भर देती है कि इंसान हर अवसाद के पल में भी अवसर ढूंढ लेता है ।

मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा रचित कहानियों में उनकी कहानी “बड़े घर की बेटी ” ने मेरे हृदय को छू लिया है । इनकी कहानियां हमेशा यथार्थ के धरातल पर अंगड़ाई लेती हैं। इनके पात्र भी बहुत सहज होते हैं। प्रकृति भी अपने सरगम में होती हैं । ‘बड़े घर की बेटी’ कहानी में नायिका आनंदी के मनोभाव का ,पारिवारिक परिस्थितियों का जिस तरह जीवंत चित्रण किया गया , पढ़कर मन आह्लादित हो गया । बहुत सही कहा है लेखक ने , क्रोध की अग्नि घरों को तबाह कर देती है । इंसान का अहंकार उसे किसी के आगे झुकने नहीं देता है पर यदि इंसान में संस्कार का पुट है, मर्यादा है, प्रेम है, सहनशीलता है तो वह कभी परिवार को टूटने नहीं देगा।

“बहुत अल्फाज होते हैं जिंदगी जीने के लिए

बस प्रेम ही एक धागा है हर पैबंद सीने के लिए”

त्याग, प्रेम ,समर्पण की बौछार हर अग्नि को शांत करने की क्षमता रखती है और यह भावना आपके अंदर सिर्फ आपके संस्कार ही ला सकते हैं । धन दौलत आपको बड़ा नहीं बनाते है। वह आपको धनी बनाते है पर आप को बड़ा बनाते हैं आपकी ऊंची सोच , आपकी इंसानियत, आपका कर्तव्य बोध, आपका प्रेम । आनंदी ने बात बिगड़ते देख जिस तरह से अपने देवर को रोका वह कोई साधारण कार्य ना था। अपने क्रोध से हम घरों में आग लगा देते हैं यह आम बात है पर लगी आग को बुझा कर, यह चरित्र यह सोचने पर विवश कर देता है कि ऊंचे कुल और ऊंचे संस्कार इंसान की सोच को भी ऊंचा बनाते हैं।

इनकी कहानियों में भाषा की सरलता,बहुत भली लगती है । ऐसा लगता है मानो हमारे घर की कहानी हो । उन्होंने कहानी के माध्यम से समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है कि ” हर रिश्ते की अपनी मर्यादा होती है हमें उनका सम्मान करना चाहिए। कभी उस लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए। तभी घर में शांति रह सकती है। मैंने बहुत छोटी उम्र में इस कहानी को पढ़ा था । इस कहानी ने मेरे जीवन को, मेरी सोच को बदल डाला ।

मुंशी प्रेमचंद जी के जीवन के संघर्ष ने उन्हें तपा कर कुंदन बना दिया था ।उन्होंने समाज के हर वर्ग पर अपनी रचनाएं लिखी। उनकी हर रचना में कोई न कोई उपदेश होता है। उनके व्यक्तित्व की सरलता ,पारदर्शिता , सहजता उनकी लेखनी में साफ साफ झलकती है । अपनी कहानियों में मुंशी प्रेमचंद जी के हर कलाकार के अंतर्द्वंद को परिभाषित करने का अंदाज बहुत निराला है । मैंने गोदान समेत बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं पर यह कहानी उन दिनों पढ़ी थी जब यौवन की दहलीज पर कदम रखा था । उस वक्त पढी यह कहानी मेरे लिए मेरा आदर्श बन गई थी । प्रेमचंद जी की कहानियों ने कईयों की जिंदगी संवारा है । उनकी कहानियां हमारे प्रेरणा स्रोत हैं ,हमारे आदर्श है ।उनके चरणों में मेरा सादर अभिनंदन।

मंजू भारद्वाज
हैदराबाद, भारत
शिक्षा__ ग्रेजुएट
प्रकाशित पुस्तकें__ नॉवेल ” चक्रव्यूह रिश्तों का” , कहानी संग्रह ” जिंदगी से एक मुलाकात”
कविता संग्रह ” अहसासो का समंदर”
कई साझा संकलन भी प्रकाशित हुए है।
लेखन की विधाएं_ कहानी,कविताएं,गजल,नाटक,स्क्रिप्टिंग।

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