सकारात्मक सोच
“अरे !यह तो रजत है।”आश्चर्य से मीनू मैडम बोली।लाइब्रेरी में अखबार पढ़ते हुए उनकी नजर अखबार के प्रथम पृष्ठ पर बड़े अक्षरों में यूपीएससी का रिजल्ट और साथ में हाई रैंक कैंडिडेट का नाम फोटो के साथ छपी थी, वहां टिक गई।
“यह देखो अपना रजत उसकी फोटो छपी है। इसी विद्यालय से इसने 12वीं पास की है।”
वहां बैठे अध्यापक और अध्यापिकाओं ने रजत की तस्वीर और रैंक देख कर, उसकी उपलब्धि पर चर्चा करने लगे। एक ने कहा”बहुत ज़हीन लड़का है। देखो क्या कमाल कर दिया।”
दूसरे ने कहा”सच में, जहां तक मुझे याद है,इसके पिता रिक्शा चालक है”। पर कुछ खासियत तो थी लड़के में। कक्षा में सबसे अलग,केवल अपने काम से काम रखता था।
यह खबर सभी स्टाफ मेंबर तक पहुंची। रजत के विषय शिक्षकों ने अपनी यादों का ताला खोलकर , उस की विशेषताओं को याद किया और सराहा।गुरूजनों का कद स्वत: बढ़ गई।
मीनू मैडम, स्टाफ सेक्रेटरी के साथ प्रिंसिपल सर के ऑफिस में जाकर बोली”सर एक अनुमति चाहती हूं ।यदि आप कहें तो कल शनिवार को चार कालांश के बाद सदन आरंभ होता है। सभी छात्र विद्यालय प्रांगण में एकत्र होते हैं। उस समय का लाभ उठाया जाय।”
“क्या कहना चाहती हैं? कृपया स्पष्ट बताएं।”प्रिंसिपल सर ने कहा।
साथ में आए स्टाफ सेक्रेटरी जी ने कहा-“सर! मैडम चाहती है कि सदन के समय रजत को बुलाया जाय।”सभी बच्चे उससे प्रभावित होंगे।कई बच्चे अपनी तुलना प्राईवेट स्कूल के बच्चों से करके हीनता महसूस करते हैं। रजत बच्चों के समक्ष इस विद्यालय में अपनी पढ़ाई की प्रक्रिया और मेहनत के विषय में बतायेगा।हमारा बुलाना उसे भी अच्छा लगेगा।
जी हां,इससे हमारे विद्यालय के बच्चों का मनोबल बढ़ेगा। सभी बच्चों को जानकर अच्छा लगेगा कि रजत उसके विद्यालय का छात्र रहा है। मीनू मैडम ने कहा।
हां-हां बिल्कुल,हम भी गौरवान्वित हैं। सरकारी विद्यालयों के अध्यापक प्रशिक्षित और अनुभवी होते हैं। वे ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं जिनके घर का माहौल पढ़ने पढ़ाने के योग्य नहीं होता है।उसी माहौल से निकला हुआ और हमारे विद्यालय में पढ़ा हुआ, बच्चा देश सेवा के उच्च प्रतियोगिता में उच्च स्थान प्राप्त किया है। बहुत सुंदर विचार है। पुराने अटेंडेंस रजिस्टर में फोन नंबर मिल जाएगा।आप उनसे बात करके समय निश्चित कर लें। प्रिंसिपल सर ने कहा।
मीनू मैडम उत्साहित होकर बोली “हां जी सर मेरे पास उसका नंबर है। मैं बात करती हूं।”
दूसरे दिन सदन के लिए बच्चे विद्यालय प्रांगण में एकत्र हुए। पी टी टीचर ने बच्चों को अवगत कराया कि आज आप सभी के मध्य एक विशेष अतिथि आने वाले हैं ।जो इसी विद्यालय के छात्र रह चुके हैं।विशेष आप उन्हीं के मुख से सुनना । आपके मन में यदि कोई विचार हो ,कोई प्रश्न हो तो आप बारी-बारी से पूछ सकते हो।
रजत समय पर विद्यालय प्रांगण में प्रवेश किया। अपनी प्रिय शिक्षिका मीनू मैडम के पास आकर विनम्र अभिवादन किया। पी टी टीचर ने रजत को स्टेज पर आमंत्रित करते हुए,उनका विशेष अतिथि के रूप में परिचय दिया।उसके बाद रजत सभी आदरणीय शिक्षकों और प्राचार्य को अभिवादन, संबोधन किया। फिर बच्चों से मुखातिब होकर बोलना आरंभ किया। मुझे खुशी है कि मैं अपने विद्यालय में, अपनी सफलता के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित हूं। मैं सभी गुरुजनों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि आप मेहनत से घबराए नहीं। कई बार मजबूरियां मेहनत के मार्ग में चट्टान की भांति आती है।वहां आप जल की भांति अपना मार्ग किनारे से निकाल ले ।मजबूरियां चट्टान की तरह पीछे छूट जाएगी और आप जल की भांति प्रवाहमान होकर आगे निकल जाएंगे।
मीनू मैडम की आंखों में आंसू छलक पड़े । ह्रदय गर्व से भर गया। आखिर ऐसा क्यों ना हो? रजत आर्ट का स्टूडेंट था और वह उसकी हिंदी अध्यापिका। इतना अच्छा बोल रहा है,धाराप्रवाह वाह!
अन्य शिक्षिकाएं भी रजत की शालीनता और स्वाभिमान से भरे व्यक्तित्व को देखकर प्रसन्न हो रही थी।
एक विद्यार्थी खड़ा होकर प्रश्न किया। भैया! आपके पापा क्या करते हैं ? सरकारी विद्यालयों में तो निम्न स्तर के ही बच्चे पढ़ते हैं। जिनके माता-पिता की आमदनी अच्छी है। वे तो प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं ।हमारी कक्षा में अधिकतर बच्चों के पिता रिक्शा चलाते हैं या सब्जी बेचते हैं। मांएं घरों में जाकर खाना बनाने और झाड़ू पोछा का काम करती हैं।हमारे में से कई विद्यार्थी ऐसे हैं जो सुबह-सुबह घरों में अखबार डालकर फिर विद्यालय आते हैं।
पीटी टीचर ने उस बच्चे को बैठने के लिए कहा। परंतु रजत ने टीचर को आश्वस्त करते हुए कहा- सर! बोलने दीजिए। फिर विद्यार्थियों से मुखातिब होकर बोला। किसी और विद्यार्थी के मन में कोई प्रश्न हो तो आप पूछ सकते हो।
बच्चे उत्साहित होकर अपने प्रश्न रजत के सामने रख रहे थे ।अधिकतर बच्चों का समान प्रश्न था ।घर की आर्थिक दशा, सरकारी स्कूल, छोटे-छोटे काम धंधों में लगे अभिभावक,आसपास का माहौल इत्यादि।
रजत सभी बच्चों की बातें ध्यान से सुन कर बोला “मेरे पापा अभी भी रिक्शा चालक है ।उनके इसी आमदनी से हमारा पूरा परिवार चल रहा है। मैं गौरवान्वित हूं । मैंने अपने पिता के द्वारा किए गए परिश्रम को देखकर ही परिश्रम को मूल मंत्र बनाया।हम अक्सर अखबारों में पत्रिकाओं में पढ़ते हैं कि सब्जी वाले का बेटा उच्च पद के लिए चयनित हुआ।रिक्शा चालक की बेटी आईएएस ऑफिसर बनी।अखबार वाले का बेटा आईपीएस बन गया। समाज में यह खबरें इस तरह से सुनी और सुनाई जाती है ,जैसे आठवें अजूबे के बाद यह नौंवा अजूबा हो ।मैं सभी विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि कोई भी काम छोटा नहीं है। समाज को, संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए जितनी आवश्यकता उच्च पदस्थ शख्सियत की है। उतनी ही आवश्यकता फल-सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चालक ,सफाई कर्मचारी तथा अन्य कर्मकारों की है।
हम अपने सोच से इन कामों को छोटा ही नहीं सजा भी बना देते हैं। बार-बार इन कार्यों को करने वालों को नीचा दिखा कर उनमें हीनता की भाव पैदा कर देते हैं। फिर वे अपने परिवार संग अपने जीवन को सजा की तरह जीने लगते हैं।वे स्वयं को लाचार ,बेबस ,दूसरों से कमजोर समझने लगते हैं,जो कि उचित नहीं है। मेरा सभी विद्यार्थियों से एक ही आग्रह है कि आप बस इतना याद रखें। हौसला और स्वाभिमान हर कार्य को श्रेष्ठ बनाता है। धन्यवाद।
पंद्रह सौ बच्चों की तालियों की गड़गड़ाहट से विद्यालय प्रांगण गूंज उठा। रजत स्टेज से उतर कर मीनू मैडम के पास आया। उनके चरणस्पर्श कर बोला “मैडम आपका वह स्नेहिल कटाक्ष मुझे नया राह दिखा दिया।”
रजत उस दिन तुम्हारा उन शरारती लड़कों के साथ घूमना मुझे अच्छा नहीं लगा। मैं हमेशा तुम्हें एक आदर्श छात्र के रूप में देखना चाहती थी। स्नेहिल और आत्मीयता के साथ मीनू मैडम ने कहा।
जी मैं उस समय भी अपने प्रति आपकी स्नेह को समझा था और आज भी याद है आपने गुस्से और झल्लाहट में कहा था।रिक्शा पुलर का बेटा तू भी रिक्शा ही चलाना । उसके चेहरे पर एक आत्मीय विश्वास था। उसने कहा”आपने किसी और बच्चे को कुछ नहीं कहा। मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। आपने केवल मुझे डांटा था।” मेरे प्रति आपका यही स्नेह जीवन में कुछ करने के लिए प्रेरणास्रोत बनी। रजत आभार प्रकट कर विदा लिया। मीनू मैडम धुंधले आंखों से उसे जाते देख रही थी।
निशा भास्कर
शिक्षा-एम.ए(हिन्दी) बी.एड
प्रकाशित पुस्तकें-परिवर्तन(साझा कथा संग्रह) धरती, स्पंदन, स्पंदन-2(साझा काव्य संग्रह)
विद्यालयी पत्रिका: शिक्षा ज्योति
पत्रिका-अरण्य वाणी, शब्दों की आत्मा में (आलेख लेखन),सुवासित (नारी विशेषांक) में काव्य।
दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक अखबार बोलती खबरें एवं रीवा, मध्यप्रदेश से प्रकाशित विंध्य टुडे में कहानी, लघुकथा एवं कविताएं प्रकाशित।