निर्मला
मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास निर्मला का प्रकाशन१९२७ में हुआ था । यह उपन्यास मुझे बहुत ही ज़्यादा पसंद है।
निर्मला उपन्यास बेमेल विवाह एंव दहेज प्रथा पर आधारित है।यह बेहद मार्मिक कहानी जो दिल को छू जाती है।यह एक प्रकार से मनोवैज्ञानिक उपन्यास है। मानस पटल पर एक छाप छोड़ देती है।
उन दिनों की दहेज प्रथा के बुरे प्रभाव जो मध्यम वर्गीय युवतियों को झेलना पड़ता था , वह अतिसंवेदनशील तरीक़े से वर्णन किया गया है।
मुझे व्यक्तिगत रूप से निर्मला जो सपना विवाह पूर्व देखती है वह बहुत प्रभावित किया है।निर्मला के आनेवाले कल का पूरा वर्णन सपने के द्वारा किया गया है।
निर्मला एक शांत गंभीर युवती थी । वह पति और परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी कुशलपूर्वक निर्वाह करती थी। तत्कालीन समाजिक व्यवस्था की सोच के कारण निर्मला का तिरस्कार और उसके चरित्र पर लांछन लगना एक दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति थी। समाज द्वारा निर्मला का चरित्र हनन होना वह बर्दाश्त नही कर पाई और उसकी मोौत हो गई। निर्मला का संसार से चले जाना तत्कालीन समाज को एक प्रकार से चुनौती थी।
इस उपन्यास द्वारा प्रेमचंद जी ने समाज की कुरीतिओं पर करारा प्रहार किया है।
अनिता सिन्हा
वदोदरा, गुजरात
शिक्षा : स्नातकोत्तर (अंग्रेज़ी)
लेखन विधाएँ : कहानी व कविता।