पिता एक उम्मीद
पिता -चाँद सितारों में निखर उम्मीद की किरण बन जाते है।
नई उम्मीद के साथ ख़ुशियों जहाँ बसा जाते हैं ।
पिता,पिता के प्यार से गूँजती सारा भु मंडल हैं ।
उदगार सजा रखा धरती मैया है ।
पिता- बच्चों के दिल किताबों में प्यार सजा रखा हैं ।
पन्ने की हरकत एक आहट से मंज़िल सीढ़ियाँ पार तत्त्पर होती।
पिता – हर दर्द की दवा होती है ।
जिसकी आहट हर हिर्दय में गुंजित स्वाभिमान होता है ।
पिता -जिस तरह किताबें धरा पर रह अपना वजूद नही खोती है ।
अपने अन्दर लगे दीमक
को घर बनाते नही देती हैं ।
पिता -प्यार स्नेह वो इमारत है !
हर मुक़ाम में सफलता हासिल करा जाती हैं ।
लगन मेहनत की बुलंदियो तक पहुँचाती हैं ।
पिता हौसला अफ़्जाई का मंज़र होते हैं
इमारत सजाने सवारने में दिन गुजराते हैं
पिता की हर सीख मंज़िल सच्चाई जीत है ।
सम्बंधों को सींच रोपित बुलंद हो जाती हैं ।
पिता मन का आइना शक्ति संचार साहस है।
जिससे हर मंज़िल घर आंगन चमन आबाद हैं ।
पिता देश परिवार समाज परिवेश की वो मिसाल हैं ।
जिसकी बहुमंज़िले इमारते खड़ी बेमिसाल हैं ।
पिता भारत विश्व में अस्तित्व क़ायम करती है
भारतमाता गंगा की तरह पवित्र विशाल है ।
अनिता शरद झा
मुंबई