एक पत्र पिता के नाम
(मेरे पापा जिनको मैंने कोरोना काल में खो दिया उनको समर्पित)
कलम से एक पत्र लिखा है आज
लिखा है उनको जो हैं शायद नाराज़
तभी तो अब नहीं कभी
आती उनकी आवाज़
जाने कहां चले गए वो
जिनपर था मुझको नाज़
न किया कोई गिला
न शिकवा किया मुझसे
बस जीवन भर लुटाया केवल प्यार
दिल के हर इक कोने से
आज बजता है इक साज
लो सुनलो प्यारी लाडो
मैं आऊंगा तेरे ख़्वाब
जो अपने होते हैं
उनका न होता कोई राज़
तू मेरी बिटिया है
जिस पर है मुझको नाज़
गौर से सुन तो सुन पाएगी
मेरे मन की बात
अपने बच्चों पर दिलो जान लुटाया मैंने
पर उस रब के आगे न चली कोई मेरी मर्जी
जीना ! जैसे मैंने सिखाया
न होना कभी निराश
कर्म पथ पर बढ़ते जाना
ईश्वर देगें तेरा साथ ।
कभी ना होना तू निराश
हर पल रहूंगा तेरे साथ
मोनिका चौधरी
शिक्षिका