पिता के नाम पत्र
पूज्य पापा,
सादर प्रणाम
सबसे पहले आपको मैं पितृदिवस की हार्दिक शुभकामनायें देते हुये ईश्वर से आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करती हूँ ।सुबह सबेरे जब हमने आपसे फोन पर बात की थी तब आपको उन खतों की याद दिलाई थी जो हमनें आपको लिखे थे बहुत लम्बे लम्बे खर्रों के रूप में पर आप तो अब अपनी बीमारी के कारण बहुत सी बातें भूल चुके हैं ।तो सोंचा क्यों ना इस पत्र के माध्यम से कुछ भूली बिसरी यादें ही ताजा कर ली जायें ।हमें पता है कि आप आँख के रेटिना में समस्या की वजह से यह पढ़ भी नहीं पायेंगे ।पर माँ आपको सब पढ़ कर सुना देंगी ।
मेंरे जीवन में पापा आप और पापाजी दोनों ही पिताओं का बहुमूल्य योगदान रहा है ।आप दोनों के मार्ग दर्शन से जीवन की बहुत से उलझनें आज भी आसानी से सुलझ जातीं हैं ।आप दोनो के आपसी सामन्जस्य ने हमें जीवन के नये फलसफे से परिचय कराया था । एक बार की बात याद है मुझे पापा आप आये थे हमारे पास और पापाजी से बात कर रहे थे कि हमारे कानों में आप दोनों की बात पड़ी हालाँकि किसी की बात छिप कर सुनना अच्छा नहीं होता पर फिर भी उत्सुकतावश अपना नाम आने पर सुनने लगी ।पापा जी आप से कह रहे थे कि “आपकी बेटी बिल्कुल भी बहू की तरह नहीं रहती ।”इतना सुनते ही हमारा दिल धक से रह गया ।तभी हमने आगे सुना ।” “वो तो बेटियों की तरह पीछे पड़ जाती है और सब खिला कर ही मानती है ।”पूरी बात सुनते ही हमने सुकून की सांस ली थी और मुस्कुराते हुये चाय ले कर आप लोगों के पास आ गयी थी ।बाद में माँ ने मुझे बताया था कि उस दिन पापा दिन भर बहुत खुश रहे थे ।वही शायद आप दोनों की आखिरी मुलाक़ात थी ।
पता है पापाजी हमसे कहते थे कि आपको अपने मातापिता का भी ख्याल रखना है ।अच्छा लगता था जब वो आप लोंगो के विषय में भी सोचते थे ।पापा हम कोशिश करेंगे कि जल्द ही आपसे मिलने आयें ।तब तक के लिए राम राम ।
आपकी लाड़ली
इरा
इरा जौहरी
उत्तर प्रदेश, भारत