माँ मेरी अनमोल
माँ तू अनमोल है,
जीवनदायिनी है ।
तूने मुझे अपने प्रेम से,
अपने संस्कारों से,
अपने ज्ञान से ,
अपनी ममता से सीचा ।
धरती पर गर्व से चलना तूने सिखाया,
गुरु बनकर पहला ज्ञान तूने दिया ।
ईश्वर की तरह आखिरी सांसों तक
हाथ मेरा थामे रखा,
इतनी गहरी तेरी ममता ।
मेरे जीवन में तुझसा
कोई अनमोल नही ।
तेरे बिन मैं अधूरी,
तू है तो मैं हूं,
तेरा ही एक प्रतिरूप
तुझे कोटि-कोटि प्रणाम माँ।
सारिका सिंह,
समाजसेविका
जमशेदपुर, झारखंड