कैसे रहा जाएं बी पॉजिटिव
व्यथित मन परमात्मा की क्रूर करनी के आगे लाचार हूं,आहत हूं और उसकी निष्ठुरता से बेहद नाराज भी हूँ कि ऐसा क्यों किया।
रोज इतने जनों को एक-एक कर जाते हुए देख कर, सुन कर मन मे न चाहते हुए भी निराशा आ ही जाती थी,पर थोड़ी देर बाद सोचती कि नहीं सबको इस भय ,डर से जागरूक तो मैं कर सकती हूं,उनको अपनी लेखनी से भावनात्मक मजबूत बनाने में अपना सहयोग दे सकती हूं,अपने लोगों के लिए मेरा ये योगदान सभी के हित में होगा यही सोच फिर इस कालिमामय वातावरण में मन को मजबूत बना एक सकारात्मक पोस्ट सब साथियों के लिए डालती कि उम्मीद की मशाल पकड़ कर एक दूसरे की मदद कर अपना कार्य पूर्ण निष्ठा से करते चलो फिर देखो जल्द ही प्रत्यूष मनोहर होगा ही आशा की किरण,उम्मीद, सुबह का सूरज जल्द ही सब ठीक जैसी न जाने कितनी बातों से अपने आप को और औरों को आशा का संचार करने का कार्य करती थी।
इतनी मुश्किल भरे दौर में जब घर परिचित मित्र रिश्तेदार चारों और ही ऐसी खबरें सुनने को मिलती थी कहती थी मुश्किलों का दौर है पर पर भगवान जल्दी ही ठीक करेगा पर भगवान इतना निष्ठुर है सोच भी नहीं सकती थी। मेरी दोस्त,सहकर्मी,संपर्क की सदस्या जिसके आंसू साल भर से सूखे ही नहीं थे।अभी तक पुराने घाव हरे थे,पिछली चोट जो उसे सो कॉल्ड भगवान ने दी थी उस गम से वह उबर ही नही पाई थी,उबरती भी कैसे? पिछली मई 2020 दर्दनाक थी उसके पापा,सास,ससुर को कोरोना नामक जहरीले राक्षक ने निगल लिया था और ये जहरीला राक्षक अब मई 2021 में उसके पतिदेव राजीव भैया को भी निगल गया। ऐसा वज्रपात, इतना दुख क्यों ईश्वर इतना क्रूर क्यों???
कहते है जो आया है वह जाएगा ही।मानती हूं पर, हे ईश्वर क्या ये तेरा न्याय है?मुझे बता,तू तो भगवान कहलाता है न क्यों इतनी भयावहता।हे ईश्वर दुनिया को पहले जैसी बना दें।
आज अपने आप को इतना असहाय, बेबस और लाचार महसूस कर रही हूं कि उसको गले लगाकर रो भी नहीं सकती,उसके मन मे जो ज्वार है उसे फोड़ भी नहीं सकती।
क्या कहूँ निःशब्द !!!!!!!!! मेरी दोस्त को इस गहन दुख को सहने की शक्ति दे,इस मुश्किल और दुखद घड़ी में संबल प्रदान करें तथा दिवंगत आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दे।
ॐ शांति
रेनू शब्द मुखर
जयपुर, राजस्थान