माँ! तेरी दुआ चाहिए
ज़िन्दगी है क्या ….. ? गर पता चाहिए।
बस दुआओं का इक सिलसिला चाहिए।।
ज़िन्दगी के मसाइल से लड़ता रहूँ।
ये ख़ुदा! मुझ को वो हौसला चाहिए।।
ज़िन्दगी मौत से छीन लाऊँगा मैं।
उमर भर माँ, तेरा आसरा चाहिए।।
आ कभी मिल मिरे माँ से, फिर बता।
मुझ को क्यों, ज़न्नत की पता चाहिए।।
न दौलत न शोहरत की ख़्वाहिश मुझे।
माँ रहे साथ पल वो, ख़ुदा चाहिए।।
दिल के पन्नों पे लिख दुँ इबादत नई।
हम को माँ, साथ तेरा सदा चाहिए।।
जीत ही जाएगा हर इक़ बाज़ी, अजय।
ऐ माँ! बस मुझ को तेरी दुआ चाहिए।।
अजय मुस्कान
जमशेदपुर, झारखंड