माँ है तो संसार है
माँ है तो संसार है बिन उसके न प्यार है।
माँ की ममता तो ईश्वर का दिया उपहार है।।
स्नेह अपार प्यार क्या न दिया माँ ने हमे।
माँ की ममता में ही तो जीवन का सार है।।
दूर होकर भी जो सदा दिल मे बसती है ।
एक जरा आँसू पर जो सीने से लगा लेती है।।
खुद भूखी होकर भी जो हमे खिलाती है।
माँ तो वो है जो सदा आँचल में समाती है।।
खुद गीले में सोती हमे सूखे में सुलाती है।
माँ की आँखे कितना वात्सल्य लुटाती है।।
उसकी आंख के तारे हम सदा ही रहते है।
खुद दुख सहती हमे न भास कराती है।।
माँ की ममता का कोई मोल नही होता।
अनमोल है प्यार इसका छोर नही होता।।
ईश्वर की सूरत तो माँ तुझमें ही समाई है।
तेरे चरणों मे सदा हमने तो जन्नत पाई है।।
आकांक्षा द्विवेदी
बिंदकी , फतेहपुर