सुन लें

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आज ‘ऑटिज्म डे ‘है।यह भयंकर बीमारी है।सजग नहीं होने पर विकराल रूप ले लेता है।यह मानसिक रोग है।इससे ग्रसित बच्चे का मानसिक विकार के कारण विकास रूक जाता है। सामान्य बच्चों की अपेक्षा इन बच्चों का विकास बहुत धीमे गति से होता है।

ऑटिज्म के बहुत कारण होते हैं।गर्भ काल में माँ की उचित देखभाल न होना, खानपान में कमी, पौष्टिक आहार का न मिला,थाइराइड का असन्तुलन आदि अनेक कारण से हो सकते हैं।आज ‘ऑटिज्म डे ‘ के दिन मुझे एक घटना का स्मरण हो आया। गौरी के दो बच्चे थे।बड़ा बेटा विशेष उस समय तीसरी कक्षा में था जब छोटे का जन्म हुआ था। परिवार पूरा हो जाने से पति पत्नी दोनों अति प्रसन्न थे। जब छोटा एक साल का हो गया तो गौरी को कुछ शंका हुआ कारण छोटा उसके अतिरिक्त किसी को नहीं पहचान पाता था।कभी कभी उसे भी नहीं नोटिस करता।बड़े बेटे की तरह कभी उसकी किलकारी नहीं सुन पायी थी।बड़ा बेटा विशेष कितना भी उसे छेड़ता लेकिन कभी वह गुस्सा नहीं होता था।एक दिन जोर से रेडियो की आवाज सुन जब कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं किया तो गौरी को और भी चिन्ता हुई।वह डॉक्टर के पास ले गई।

जाँच के बाद डॉक्टर ने कहा कि -‘ ऑटिज्म नाम की बीमारी हो गई है।दवाई के संग थेरेपीज भी दिया जायेगा।’
गौरी इलाज करवाने लगी। बहुत ध्यान रखा करती थी।उसके संग ही जगा करती थी और उसी के संग सोना। धीरे-धीरे सुधार होने लगा।उसका ‘स्पेशल स्कूल’ में दाखिला भी हो गया।अपने वर्ग में प्रथम आता था।बोलने भी लगा।मशीन के द्वारा सुनने भी लगा था।सभी निश्चिन्त हो गये थे।
एक दिन ‌गौरी दिन में ही सो गयी थी।समीप ही छोटा भी सो रहा था।
पता नहीं कैसे गिर गया और बेहोश हो गया। डाक्टर के पास ले जाया गया।उस घटना के बाद कभी बिना सहारे के न चल सका न सुन सका।
मुख से लार टपकने लगा। सभी बहुत परेशान हैं।माता पिता के अलावा सभी रिश्तेदार उसकी मृत्यु की कामना करते हैं। गौरी तो पूरी तरह सूख गयी।अपने आप को ही दोषी मानती थी।कारण उसे यह लगता था कि यदि वह उस दिन सोती नहीं तो उसका नन्हा सही सलामत होता।
गौरी बहुत बीमार रहा करती है।एक तरह से उसका शरीर ‘व्याधि का मन्दिर ‘ हो गया है। उसने उम्मीद नहीं छोड़ी है।उसको विश्वास है कि उसका नन्हा निश्चित रूप से स्वस्थ हो जायेगा।माता रानी ठीक करेंगी। जगदम्बा उसकी सुन ले। माँ का विश्वास जीत जाय। मुझे लगता है एक माँ दूसरे माँ की पुकार अवश्य सुनेगी।आखिर!जगजननी तो जग की माता है। फिर अपनी बेटी गौरी की सहायता अवश्य करेगी। माँ तो माँ होती है।वह मात्र अपनी सन्तान के लिए सोचती है।

डॉ रजनी दुर्गेश
साहित्यकार
हरिद्वार,उत्तराखंड

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