दिव्या माथुर-सुपर अचीवर

दिव्या माथुर -सुपर अचीवर

वातायन- यूके की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन-2000 की सांस्कृतिक अध्यक्ष, यूके हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष और कथा-यूके की अध्यक्ष­ रह चुकी, दिव्या माथुर का नाम ‘इक्कीसवीं सदी की प्रेणात्मक महिलाएं’, ‘ऐशियंस हूज़ हू’ और विकिपीडिया की सूचियों में भी सम्मलित है।  25 वर्षों तक नेहरु केंद्र-लन्दन में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी के रूप में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए आर्ट्स काउन्सिल ऑफ़ इंग्लैंड द्वारा सम्मानित किया।  एक पुरस्कृत लेखिका के रूप में, दिव्या के सात कविता-संग्रह, पांच कहानी-संग्रह और एक उपन्यास, शाम भर बातें, जो दिल्ली विश्विद्यालय के बीए-ऑनर्स पाठ्यक्रम में शामिल है, प्रकाशित हैं। अंग्रेज़ी में पांच कहानी-संग्रहों की सम्पादक, पांच बाल-पुस्तकों की अनुवादक, दिव्या की बहुत सी पुस्तकों पर स्नातकोत्तर शोध हो चुके हैं। आपके नाटकों – फ्यूचर-परफैक्ट, Tête-à-tête एवं ठुल्ला किलब, का सफल मंचन हो चुका है। दूरदर्शन ने आपकी कहानी, सांप सीढी, पर एक टेली-फ़िल्म बनाई है। डॉ निखिल कौशिक द्वारा निर्मित फिल्म, घर से घर तक का सफ़र: दिव्या माथुर, को भारत के विभिन्न फिल्म-फेस्टिवल्स में शामिल किया जा चुका है।

पूरा परिचय
दिव्या माथुर, एम.ए, एफ़.आर.एस.ए.                                  
जन्म तथा शिक्षा दीक्षा: 23 मई 1949, दिल्ली, स्नाकोत्तर (अंग्रेज़ी), आई.टी.आई-दिल्ली से सचिविक-उपाधिपत्र, चिकित्सा-पत्रिकारिता दिल्ली एवं ग्लासगो पॉलिटेक्निक्स से, चिकित्सा आशुलिपि का स्वतंत्र अध्ययन। 
कर्मक्षेत्र: आप दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान में चिकित्सा-आशुलिपिक (1971-1985) रहीं, जहां आपने नेत्र-विज्ञान से सम्बंधित शब्दावली का अध्ययन किया और अपनी और नेत्र-विशेषज्ञों की सुविधा के लिए मेडिकल-आशुलिपि ईजाद की।  निजी तौर पर, आपने नेत्रहीनों/अक्षम मरीज़ों की सहायता में मदद की, जिन्हें केंद्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता था।  पोषण, नेत्र-रोग, नेत्रहीनता और नेत्र-दान आदि पर अगनित लेख भी लिखे, जो समय समय पर प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में छपे। 

1985 में आप भारत़ीय उच्चायोग-लंदन से जुड़ीं, 1992 में डॉ गोपालकृष्ण गांधी के प्रोत्साहन पर उन्होंने नेहरु केंद्र-लन्दन में पुस्तकाध्यक्ष/वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी का पद सम्भाला और उसकी स्थापना में योगदान दिया। इस केंद्र के मुख्य उद्देश्य थे।विचार और अनुभव की सतहों पर भारतीय समाज की सांस्कृतिक महत्वकांक्षों का सम्बोधन और भारतीय और विदेशियों के मध्य सांस्कृतिक संवाद का प्रसार। यहां आपने हज़ारों कार्यक्रमों का आयोजन किया; आपके इस उत्कृष्ट योगदान और नवरचना के लिए आपको आर्ट्स-कॉउन्सिल ऑफ़ इंग्लैंड ने आर्ट्स-एचीवर के सम्मान से सुशोभित किया ।आपका लन्दन के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन मे अपूर्व योगदान रहा है। स्वतंत्र लेखन-अध्ययन और वातायन के कार्यक्रमों के अतिरिक्त, यह आजकल हैदर-क्लब फ़ॉर डिमेंशिया एवं ‘हर्ट्स विज़न-लॉस’ में स्वयंसेविका के रूप में कार्यरत हैं।

साहित्यिक उपलब्धियां: अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता संस्था की संस्थापक, रौयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, ब्रिटिश-लाइब्रेरी की ‘फ़्रेंड’ और आशा फ़ाउंडेशन की संस्थापक और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एलुम्नाई की सलाहकार, पेन-फॉउंडेशन की सहयोगी, अक्षरम संस्था एवं सर सय्यद फाउंडेशन की सदस्य हैं। आप यू.के हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष और कथा-यूके की अध्यक्ष, लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन-2000 की सांस्कृतिक अध्यक्ष रह चुकी हैं। जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल, विश्व-रंग-भोपाल, कोलंबिया विश्विद्यालय-न्यू यॉर्क, महात्मा गांधी हिंदी विश्विद्यालय-वर्धा, जैसे अनगिनत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों द्वारा आमंत्रित की जा चुकी हैं। आप ‘प्रवासी टुडे’ की प्रबंध-सम्पादक और कई महत्वपूर्ण प्रवासी पत्रिकाओं – पुरवाई, विश्व विवेक, अक्षरम – आदि के संपादन-मंडल में भी शामिल रही हैं। 

2003 में दिव्या माथुर द्वारा स्थापित, वातायन: पोएट्री-ऑन-साउथ-बैंक और यूके हिन्दी समिति के माध्यम से वह हिन्दी के प्रचार-प्रसार में 1985 से जुड़ीं हैं। भारतीय उच्चायोग-लन्दन के फ्रेडरिक-पिन्कॉट पुरस्कार से सम्मानित, वातायन संस्था ने पिछले सत्तरह वर्षों में कई ऐतिहासिक कार्यक्रम किए हैं, जिसमें भारत और अन्य देशों के कवियों, लेखकों और प्रकाशकों: निदा फ़ाज़ली, प्रसून जोशी, जावेद अख्तर, राजेश रेड्डी और कुंवर बेचैन, अरुण माहेश्वरी, पुष्पिता अवस्थी, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ मधु चतुर्वेदी अनिल शर्मा-जोशी और योगेश पटेल, आदि को सम्मानित किया जा चुका है। लेखकों और कलाकारों के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित करना; गैर-अंग्रेजी लेखकों को अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के संपर्क में लाने के लिए एक मंच प्रदान करना, पोएट्री-पिक्निक्स, कविता/कहानी-संग्रहों के प्रकाशन, विमोचन, चर्चा  के अतिरिक्त, इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है शांति और सद्भाव के माहौल को बढ़ावा देना।
प्रकाशित कृतियाँ: उपन्यास: शाम भर बातें (दिल्ली विश्विद्यालय के प्रावीण्य पाठ्यक्रम में शामिल) कहानी संग्रह: मेड-इन-इंडिया, हिंदी@स्वर्ग.इन, 2050, पंगा, आक्रोश, दिव्या माथुर:प्रवासी पंद्रह कहानियां, और ज़हरमोहरा (उर्दू में); कविता संग्रह: अंतःसलिला, ख़याल तेरा, रेत का लिखा, 11 सितम्बर, चंदन पानी, झूठ, झूठ और झूठ, जीवन हा मृत्यु; बाल कविता संग्रह: सिया-सिया। अँग्रेज़ी में संपादन: Odyssey, Aashaa, Desi-Girls, इक सफ़र साथ-साथ, तनाव (दो खंड) और नेटिव सेंटस: ब्रिटिश-भारतीय कवियों की रचनाएं; अनुवाद: पांच बाल-पुस्तकों का काव्यानुवाद। नैशनल फ़िल्म थियेटर के लिए सत्यजीत रे के फ़िल्म रैट्रो और बी.बी.सी द्वारा निर्मित कैंसर पर बनी एक डाक्युमैंटरी का रूपांतर।आक्रोश, औडिस्सी एवं आशा संग्रहों के पेपरबैक संस्करण आ चुके हैं। नेत्रहीनता के विषय पर इनकी रचनाएं ब्रेल-लिपि में प्रकाशित।
‘नया ज्ञानोदय’ द्वारा ‘पिछले पचास वर्षो की सर्वश्रेष्ठ कहानियों’ और ‘सन्डे-इंडियंस’ द्वारा हिन्दी की पच्चीस बेहतरीन कहानीकारों में आपको शामिल किया है। बहुत सी भाषाओं में भी अनुदित और प्रकाशित, उनकी कहानियाँ और कविताएं ‘धरा से गगन तक’, दूर बाग़ में सोंधी मिट्टी, देशांतर, इतर, बातें-मुलाक़ातें, The Redbeck Anthology of British South Asian Poetry, Northern Durbar, The North Eastern Durbar, Poems of Cultural Diversity, द होम-रियल और Dream Catcher जैसे कई महत्वपूर्ण संग्रहों में भी सम्मलित हैं। दिव्या ने जिन प्रसिद्ध स्थानीय कवियों के साथ कविता-पाठ किया है, उनमें एंड्रू मोशन, रूथ पडेल, रोगन वुल्फ, माइकल होरोवित्ज, कैनेथ वैरिटी, लिली माइकेल्ड्स, शांता आचार्य और अन्य शामिल हैं।

 
नाटक/फ़िल्म: नाटक: अनिल जोशी द्वारा दिव्या माथुर की कहानी, 2050, के नाट्य रूपांतरण, ‘फ्यूचर परफेक्ट – इदम पूर्णम’ की वयम नाट्य संस्था द्वारा अक्षरा थियेटर दिल्ली में प्रस्तुति की गई। पॉल रौबसन द्वारा ‘Tête-à-tête’ और ‘ठुल्ला किलब’ नाटकों का मंचन सफल रहा है। दिल्ली दूरदर्शन ने इनकी कहानी, सांप सीढी, पर एक फ़िल्म निर्मित की है। डा निखिल कौशिक द्वारा उनकी सांस्कृतिक और लेखकीय गतिविधियों पर एक फ़िल्म, घर से घर तक का सफ़र, बनाई है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म-उत्सवों में शामिल किया जा चुका है।
प्रवासी गीतों का एल्बम: वतन की खुशबु के सम्पादन के अतिरिक्त प्रसिद्ध गायकों: राधिका चोपड़ा, रीना भारद्वाज, कविता सेठ और सतनाम सिंह द्वारा दिव्या की ग़ज़लों और गीतों की प्रस्तुति की जा चुकी है। कला-संगम की निदेशक डॉ गीता उपाध्याय के नर्तकों द्वारा आपकी कविताओं पर आधारित एक अभूतवपूर्व नाटिका, एक बौनी बूँद, की प्रस्तुति कार्टराइट म्यूज़ियम-ब्रैडफर्ड में आयोजित की गयी। साक्षात्कार अथवा अपनी रचनाएं सुनाने के लिए ज़ी.टीवी, सनराइज़ रेडियो, बी.बी.सी रेडियो, आकाशवाणी भवन और दिल्ली-दूरदर्शन पर आपको नियमित रूप से आमंत्रित किया जाता है।  
 
पुरस्कार/सम्मान: केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा पद्मभूषण मोटुरी सत्यनारायण पुरस्कार; दिल्ली, राजस्थान, अंडमान निकोबार, जे.एन.यू-पोर्ट ब्लेयर और असम आदि विश्वविद्यालयों ने सम्मानित, दिव्या माथुर को कथाकार मन्नू भंडारी हिन्दी साधिका सम्मान, उदभव मानव सेवा सांस्कृतिक सम्मान; भारत सम्मान-2013, डॉ हरिवंश राय बच्चन लेखन सम्मान, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त प्रवासी पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म-उत्सव-(2012) सम्मान; कथा यू.के का पदमानंद साहित्य सम्मान, यू.के हिंदी समिति का संस्कृति सेवा सम्मान, अक्षरम का प्रवासी साहित्य सम्मान, चिन्मोय मिशन का वैयक्तिक उत्प्रेरणा और समर्पण सम्मान, पोइम्स-फ़ौर-दि-वेटिंगरूम-यूके और इंटर्नैशनल लाइब्रेरी औफ़ पोएट्री, अमेरिका, का उत्कृष्ट उपलब्धि पुरस्कार। आर्टस काउंसिल औफ़ इग्लैंड का कला-साधना-सम्मान, काव्य रंग (नाटिंघम) सम्मान आदि मिल चुके हैं। रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट्स ने भी इन्हें अपना सदस्य मनोनीत किया है।
‘पल्स’ और ‘साहित्य-समर्था’ पत्रिकाओं के अंक इन्हें समर्पित हैं। ‘कंफ़ेशन्स ऑफ़ ए वीमेनाइज़र’, हिंदी-विकिपीडिया, ‘इक्कीसवीं सदी की प्रेणात्मक महिलाएं’ और ‘ऐशियंस हूज़हू की सूचियों में सम्मलित।

 
अध्ययन/अनुसंधान: कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में दिव्या की रचनाएं सम्मलित एवं कृतियों का अध्ययन। इनका उपन्यास ‘शाम भर बातें’ दिल्ली विश्विद्यालय के प्रावीण्य पाठ्यक्रम में शामिल है। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के अतुल कुमार यादव द्वारा ‘दिव्या माथुर कृत उपन्यास ‘शाम भर बांतों’ में प्रवासी भारतीयों की ज़िंदगी का यथार्थ’ पर एम.फ़िल, उप्साला-विश्विद्यालय-स्वीडन के मन्ने एकडल द्वारा ‘दिव्या माथुर की कहानियों का विश्लेषण’ एवं अनुवाद, मुम्बई विश्विद्यालय की ज्योति देसाई और प्रोमिला गुप्ता द्वारा ‘दिव्या माथुर के समग्र साहित्य में संघर्षरत नारी-चित्रण’ एवं ‘प्रवासी साहित्यकार दिव्या माथुर के साहित्य में मानवीय मूल्य’ पर पी.एच.डी, कानपुर विश्विद्यालय की डॉ अर्चना देवी द्वारा ‘दिव्या माथुर की साहित्यिक रचनाएं’, गुरु नानक देव् विश्विद्यालय-अमृतसर की डॉ प्रीत अरोड़ा, दलवीर कौर और सपना सैनी द्वारा ‘दिव्या माथुर की साहित्यिक उपलब्धियां, पर एम.फ़िल, आदि आदि।
                                            
आपका नाम निम्नलिखित सूचियों में शामिल हैं:
(1)          प्रेरणादायक महिलाएं
(2)          एशियन हूज़हू
(3)          Arts Council’s Poems for the Waiting Room
(4)          अनुभूति/अभिव्यक्ति
(5) wikipaedia

0