वेलेंटाइन डे
सफर के दौरान मिले दो शख्स
ट्रेन में बैठे उदय…ने सामने सीट पर बैठी लड़की से पूछा…”कहाँ जा रही हो?”
गुस्से में लाल चेहरे से तमतमाती लड़की ने जवाब दिया,”पता नहीं “।
“टिकेट कहाँ की कटाई हो?”
“जहाँ ट्रेन रूकेगी, मेरी किस्मत मुझे जहाँ ले जाए”।लगता है बहुत परेशान हो…? उचित समझो तो शेयर करो ,मन हल्का हो जाएगा। ”
लड़की ने जवाब दिया, “बहुत कुछ ऐसा होता है जिन्दगी में, जो किसी से नहीं कहा जा सकता”
उदय ने कहा…”समझ सकता हूँ ,और दोनों खामोश हो गए।”
उदय ! उसके मन की पीड़ा को समझने की भरसक कोशिश कर रहा था। ट्रेन ने जैसे ही स्पीड पकड़ी, लड़की दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उदय…उसके मनोभावों को पढ़ चुका था।
उसने हाथ पकड़ लडकी को अंदर कर गेट बंद कर दिया।
और धीरे-धीरे उससे बातें करके उसको नार्मल करने की कोशिश करने लगा।
वो भी उसे भला इंसान समझ बातें कर खुद को थोड़ा सहज महसूस करने लगी।
दोनों एक दूसरे की नज़रों को बखूबी पढ़ने लगे।
“उदय ने तारीफ़ करते हुए कहा, तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन थोड़ी नकचढी…अपना नाम तो बताओ”
“वो हल्का सा मुस्कुराती हुई बोली, नयना…!”
“अच्छा ,अब ये बताओ आगे का क्या इरादा है?”
“अब तक तो मरने का था, लेकिन अब जीना चाहती हूँ।”
उदय-“ऐसा नहीं कहते जिंदगी संघर्षो का नाम है” और दोनों के बीच बातों का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा।
नयना, भावुक मन से बोल पड़ी…”मुझे सही राह दिखाने के लिए धन्यवाद।”
और घर वापस जाने के लिए अगले स्टेशन पर उतरने की तैयारी करने लगी।
दोनों में एक विश्वास का रिश्ता बन गया…एक दूसरे से फोन नम्बर लिए। दोनों की बातें होने लगी दोस्ती कुछ ही दिनों में प्रेम मे बदलने लगी।
उदय ने वेलेंटाइन डे के दिन रोज़ का एक गुलदस्ता ले…सरप्राइज देते हुए कहा…नयना क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी पूरे जिंदगी के लिए ??
मंजू शर्मा
साहित्यकार
जटनी,ओडिशा