मौसम

मौसम

है तुझी से बहार का मौसम
मेरे दिल के क़रार का मौसम

एक मुद्दत से मुन्तिज़र है दिल
जाने कब आये प्यार का मौसम

मेरी खुशियों के बादशाह बता
उम्र भर है? ख़ुमार का मौसम

रात बेचैन सी कोई रुत है
और दिन इंतिज़ार का मौसम

आरती तुमसे ज़िंदगी रौशन
तुमसे ही ऐतबार का मौसम

साथ रखना है

तुम्हें दुनिया की नज़रों से बचाकर साथ रखना है
मेरी चाहत का ख़त हो तुम छुपाकर साथ रखना है

मेरे आँगन में ठहरे हैं तुम्हारी याद के साये
तुम्हारे आने तक दिल से लगाकर साथ रखना है

कहानी की तरह तुमको सुना सकती नहीं सबको।
तुम्हें गीतों के जैसे गुनगुना कर साथ रखना है

सजाना है कभी हाथों में मेहदी की तरह तुझको
कभी आँखों में काजल सा समा कर साथ रखना है

मैं तितली की तरह हूँ फूल के जैसा है तू हमदम
मैं दिल हूँ सो तुझे धड़कन बनाकर साथ रखना है

सफ़र मुश्किल बहुत है और मंज़िल दूर है अपनी
हमें मुश्किल को ही हिम्मत बनाकर साथ रखना है

डॉ आरती कुमारी
साहित्यकार
मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार

0