ईमानदार कोशिश करें
आजादी के सत्तर साल बाद भी हम कई परेशानियों से जूझ रहे हैं ।सपने में भी जिसके बारे में हम सोचना नहीं चाहते, उस से दो -चार होना पड़ रहा है । दीमक की तरह चाट कर देश को खोखला करने वाली बुराइयाँ हमारे खून में रच-बस गयी हैं ।इनसे निजात पाना मुश्किल जरूर है,पर नामुमकिन नहीं ।
” देश मेरी जान है,आन-बान और शान है
देश है तो मैं हूँ,यही मेरी पहचान है ।।”
अगर हम ऊपर लिखित बात पर गौर करें और इस पंक्ति को आक्सीजन की तरह अपने अंदर बसा लें।सही अर्थों में इन शब्दों को जीने की ईमानदार कोशिश करें तो स्वर्णिम भारत का सपना और उसका साकार रूप हमारे सामने अवश्य होगा ।शिद्दत से किया गया हमारा प्रयास ज़रूर रंग लाएगा ।हमारी एक -एक कोशिश स्वर्णिम भारत के अट्टालिका के निर्माण में नींव के लिए मजबूत ईंट साबित होगी ।आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि वो दिन आएगा (आ रहा है) ,जब हम अपने देश को विश्व मानचित्र पर सबसे ऊपर देखेंगे ।तब हम शान के साथ कहेंगे
हमारा भारत है हमको प्यारा
सबसे न्यारा तिरंगा हमारा ।
पुष्पांजलि मिश्रा
शिक्षिका
डी•बी•एम•एस•इंग्लिश स्कूल