गण-तंत्र
हम कितने भाग्यशाली हैं कि हम भारत की संतान हैं, जो पूरी तरह से लोकतंत्र या कहिये गणतंत्र राष्ट्र है..हमारा संविधान विश्व का सबसे विस्तृत और विशाल लिखित संविधान है. लोकतंत्र की विशेषता है कि यह जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा संचालित होता है. हमारा गणतंत्र अपने उद्देश्यों की कसौटी पर पूर्णतः खरा उतरता है.
स्वतन्त्र भारत का संविधान जिन मूल उद्देश्यों को ले कर लिखा गया उनमें समता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता के साथ शोषण के विरोध का अधिकार भी है..लड़कियों की सुरक्षा और शिक्षा, अभिव्यक्ति का अधिकार शामिल है . लोकतंत्र में इन्हें जीवन का मूल सिद्धांत माना गया है..
गांधी जी ने कहा था कि यदि एक आदमी शिक्षित होता है तो केवल वह लाभान्वित होता है लेकिन यदि एक लड़की शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है..
प्रस्तुत है एक छोटी सी कविता जिसमें एक लड़की शिक्षा का अधिकार पाना चाहती है..
माँ ! मुझे चूह्ला नही जलाना पढ़ने जाना है,
मां ! मुझे पढ़ने जाना है …..
पहन जींस भैय्या की , औ टोपी दद्दू की
कदम ताल करते करते , सेना की शान बढ़ाना है
माँ ! मुझे मुन्नी नही खिलाना , बन्दूक चलाना है.
मां! मुझे पढ़ने जाना है……
ऊँची सैंडिल काला चश्मा मोटा पर्स झुलाते
गुडु,मुन्नु चुन्नु सीता, सबको खींच के लाना है.
माँ! मुझे झाडू नहीं लगाना, टीचर जी बन जाना है.
मां ! मुझे पढ़ने जाना है ……..
डाँंट मार कर बापू तुझको हरदम चुप कर देते
ताल ठोक कर जिरह बहस कर , तेरा हक दिलवाना है.
माँ! मुझे कलमुहीं नहीं , बैरिस्टर कहलवाना है.
मां ! मुझे पढ़ने जाना है ……..
शादी वादी बच्चे वच्चे तू क्यों पीछे पड़ती है
पीला चेहरा , मोटा चश्मा , कूकर खांसी ही तूने पाया है.
मां ! मुझे खटिया नहीं पकडना , डाक्टरनी बन जाना है.
माँं ! मुझे पढ़ने जाना है ……
गंवई गांव की बिटिया तेरी , फिर भी ख्वाब निराले हैं.
साईकिल रिक्शा , ना ही मोटर , मुझको एरोप्लेन चलाना है,
खोल दे मेरे बंधन मुझको अंतरिक्ष में जाना है.
मां ! मुझको पढ़ने जाना है ….
पढ़ने जाना है ….
सुधा गोयल ‘नवीन’
जमशेदपुर, झारखंड