क्षमायाचना
हे नेता सुभाष बोस जी-तुम्हे शत शत नमन्न हमारा है।
गुनाहगार ये है देश आपका-जिसने यूं मौन को धारा है।।
तेरे क्रान्ति के जज़्बे को-और हम तेरे साहस को भूल गए।
हम तो उन्हे भी भूले हैं-जो हंस हंसकर फांसी झूल गए।।
आज़ादी के दिवानों का-नही हमने है कोई प्रतिकार किया।
प्रतिकार तो क्या देना था हमने-तिल भर ना सत्कार किया।।
ये मदमस्त शासन की बाते हैं-और शासकों की मगरूरी की।
पर जनता के दिल में बसते हैं-ये चाहत भी एक ज़रूरी थी।।
कौन बताए क्या हुआ नेता जी का-और कहां तुम चले गए।
क्या थे दुर्घटनाग्रस्त हुए या-या किसी षड़यन्त्र में छले गए।।
छन छन कर आए तथ्य बोलते-षड़यन्त्र का तुम शिकार हुए।
किसी शासक की भूख के आगे-ना जाने क्यों थे लाचार हुए।।
माना सरकारें हैं मजबूर रही-इस सच को भी सामने लाने में।
गुनाहगार तो हम भी हैं तेरे-जो विफल रहे उन्हे झुकाने में।।
सुनते हैं लाल बहादुर जी भी-इस सच को तब जान गए थे वो।
तुम्हे विश्व सम्मुख लाने की-मन ही मन मे ठान गए थे वो।।
लेकिन उनका ऐसे मरना-और शरीर का यूं नीला हो जाना।
उनके डाक्टर का भी परिवार सहित-दुर्घटना में यूं सो जाना।।
दुर्घटनाओं की तह तक जाना तो-शासन की ज़िम्मेवारी थी।
पर जनता का भी यूं चुप रहना -ये भी भारी भूल हमारी थी।।
एक और मौका सच आने का-शासन फिर से ही छिपा गया।
हमारी कायरता या मूकता ने-अपने ही हाथों उसे गंवा दिया।।
इतिहास कभी भी ना माफ करेगा-शासन की इस गद्दारी को।
काला धब्बा भी सदा सदा रहेगा-पर जनता की खुद्दारी को।।
जागो शासक-जनता जागो-अब तो कुछ इसका समाधान करो।
सच अब सामने आने दो-वीरों का ना तुम और अपमान करो।।
है वही कुशल योद्धा शासक-जो सच को सामने लेकर आएगा।
जनता में खुद का नाम करेगा-और इतिहास वीर कहलाएगा।।
लाल बहादुर सब कर जाते-पर उनपे तो था कुठाराघात हुआ।
उनका शरीर यूं नीला पड़ जाना-देश पर एक आघात हुआ।।
ये देश वास्तविकता जानने का-अब तो पूरा पूरा अधिकारी है।
आज के शासक तुमसे सारी-अब तो बंधी उम्मीद हमारी है।।
नेता सुभाष के साथ साथ-अब लाल का सच बाहर आऐगा।
हटेंगी सब संशय की परतें-और सच भी रौशन हो जाएगा।।
(नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती पर उनसे क्षमायाचना के साथ)
हरगोविंद झाम्ब कमल
पानीपत ,हरियाणा