श्रद्धांजलि

योग्यता का सम्मान

अमीर गरीब
शिक्षित अशिक्षित
योग्य अयोग्य
रोजगार बेरोजगार
कर्मण्य अकर्मण्य
शोषक शोषित
शासक शासित
स्वामी सेवक
दो ही रूप विद्यमान हैं
इस संसार में
सदियों से इसी चक्र में
समाज का हुआ
विकास भी
और कालक्रमानुसार
विभक्त हो गया
समाज
कई टुकड़ों में
उन्नत होते गई
अज्ञानता से
आत्याचार
शोषण
कुप्रथा
संकीर्ण मानसिकता का
कुचक्र
होता रहा हनन मानवाधिकारों का
जाति प्रथा के
घृणित चक्की मे
पिसती रही
मानवता
कलंकित होती रही
मानव श्रेष्ठ समाज
युगों युगों तक योग्यता ने जाति का दंश झेला हैं
इस सामाजिक कलंक को
आरक्षण से साफ करने की कोशिश में
द्वेष ईष्या की पतली लकीरों को
खाईयों मे बदला है राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं ने
किंतु यह केवल राजनैतिक मानसिकता हैं
या हमारे डीएनए में ही जातिवाद का
विषाक्त जहर का रक्त संचारित हो रहा
आखिर कब हमारी बौद्धिक क्षमता का विकास होगा
और हम सभी सामाजिक
शैक्षणिक
सांस्कृतिक
रूप से जाति धर्म संप्रदाय लिंग के आधार पर नहीं
बल्कि मानवीय गुणों के आधार पर
एक उत्कृष्ट दृष्टिकोण के धोतक होगें
आखिर कब समानता का अधिकार
प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य पालन होगा
आखिर कब वह ऐतिहासिक क्षण
मां भारती का सोभाग्य जगाएगा

अर्पणा संत सिंह

युवा दिवस

ओ युवा उठा जुआ
न थक कर बैठ न कर सिर्फ दुआ
रख सोच सही, शरीर स्वस्थ
कर स्वयं का मार्ग प्रशस्त
सोच समझकर जो तू करेगा,
निष्पक्ष और सही निर्णय
तो सभी जी सकेंगे
होकर निश्चिंत और निर्भय

नरेंद्र (विवेकानंद) बनकर तू दिखा
विश्व में भारत/सफलता का परचम लहरा समाज माँग रहा तुम्हारी शक्ति
जिससे उसे मिले सशक्ति
कर अच्छाई और नेकी बेशुमार
जिससे देश का हो उद्धार

बन सच्चा,अच्छा,ईमानदार
जोश संग होश में रह
और कर स्वप्न साकार
अतीत के अनुभव से सीख ले
वर्तमान को समझ,भविष्य को भाँप ले वर्तमान की समझ और भविष्य के
स्वप्न को है तुम्हारी जरूरत
कर अपने राष्ट्र से तू
अपार और निस्वार्थ मोहब्बत

पुष्पांजलि मिश्रा

रंगरस

जीवन के विभिन्न रंगाें में
तेरे मन का रंग भर जाता
रंग-बिरंगे चित्राें काे लख
मेरा मन गद् गद् हाे जाता ।
भावों के उत्साह लहर में
डाेल रही है मेरी कश्ती
ऊपर है तूफान गरजता
काॅंप रही है मेरी हस्ती ।
तृषणा ,माेह,पीड़ा जीवन के
धूप-छाॅंँव की है अनुभूति
हर पल हर युग राह चली मैं
प्यासे मन काे मिली न तृप्ति ।
आत्म-समर्पण ही जीवन है
मेरे मन काे रंग दाे
व्याकुल मन मे रस छलका कर
अपना सा मुझकाे कर दाे ।

डॉ आशा गुप्ता ‘श्रेया’

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