भाई दूज
पुराने हो गए शब्दों को पुराने हो गए दिन
अब न जाने कब लौटेंगे बचपन
के वे भाई दूज के दिन
पाँच दिन की वह सुनमा गेहमी
नन्हे कदमों की वह चहलकदमी
पांच दिन के पांच गंध
घर के हर कोने में मिठाई की खुशबू
भैया राजा बनके राजा ख़ूब जमाये रौब
अक्षत रोली चंदन माथे पर दुआएं ले सदाचारी रहे निरोग
पिता की जगह लेते वे नन्हे कदम
बने हम सबका छत्र छाया
वह नन्हा कब बड़ा बना
अभी तक समझ न आया।
रहो सलामत मेरे भैया
बनकर तुम हमारे बाबा औया मैया
स्वस्थ होने वाले हरदम बने निरोगो काया
ख़ूब रहे रौब हर कदम
फूलों की पत्ती आप यही दुआएं हैं
केके पास जाने वाले आश्रम।
मजबूत बनो, हो तुम सबके सम्बल
सुलझाऊ हो यही ईश्वर से दुआ कर रही है
निवेदन .. !!
सुरेखा अग्रवाल