सौभाग्यवती रहूँ सदा

सौभाग्यवती रहूं सद

तेरे प्रेम के सिंदूर से मेरा जीवन हो सप्तरंग
तेरे स्नेह की बिंदिया से फिले रहे मेरा मुख
तेरे विश्वास की चुडिय़ां से खनकती रहे मन
तेरा मंगल होना ही मेरा मंगलसूत्र रहे
तेरी खुशियों ही मेरे पायल की छुनछुन रहे
तेरी सफलता की खुशी से ओठ सुर्ख लाल रहे
तुझे न दुनिया की नजर लगें मेरे नयनों के काजल से
न कोई रिति रिवाज के संग
मैं तो चाहूँ तेरे संग का रंग
जब तक मैं हूँ तू रहे मेरे संग
तेरे एहसासों से ही धडकता रहे मेरा दिल
तेरी ख्याहिशें ही मेरी ख्याहिशें रहे
तेरा ख्वाब ही मेरा ख्वाब रहे
तेरी खुशियां ही मेरी खुशियां रहे
तेरा गम ही मेरा गम
तू ही मेरा चाँद रहे
तेरे प्रेम के चाँदनी से शीतल रहे जीवन
मेरा प्रेम बस प्रेम रहें
मेरे प्रेम की छलनी से छन जाए
स्वार्थ अहंकार जैसे दुनिया के सभी रंग
मैं मैं न रहूं तू हो जाऊं
अपने प्रेम से कर दे मुझे
सौभाग्यवती सदा सदा के लिए
दे मुझे उपहार करवा चौथ का

अर्पणा संंत सिंह

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