शत शत नमन

शत शत नमन

मन में इन दिनों
एक बड़ी शांत सी निश्चिंतता है,
पितर पक्ष जो चल रहा है!
जो चले गए ,
वो इन दिनों आ गए हैं
थोड़े से और करीब।
बस यह एहसास कि
इन सोलह दिनों में
वो आसपास हैं,
आसान सी कर दी है जिंदगी ।
महसूस होता है कि
टू कम्युनिकेट इज़ ईज़ी!
वन वे ही सही!
जरा सोचिए ,
कि मेरा, आपका,
हम सभी का जन्म
पिछले बारह पीढियों
के चार हजार चौरानवे
पूर्वजों की बदौलत है!
कितनी ही आशायें, निराशाओं
कितनी ही उम्मीदें,नाउम्मीदे,
कितनी ही खुशियां, उल्लास,
कितने ही संघर्ष, उतार चढ़ाव,
कितने ही कष्ट, दुख,
कितना, कितना ही सबकुछ,
सचमुच,कितना, कितना ही सबकुछ
सहा,देखा और गुजरा
उनके साथ,
कि आज,आप और हम
इस पल में जी रहे!
इस परिपेक्ष्य में
इतने सारे पूर्वजों के आशीर्वाद,
स्नेह,रक्षा,
उत्पन्न करती
एक सुखद एहसास,
सारे दुख,तकलीफ,
अचानक लगने लगते हैं मामूली!
और मन सभी को करता स्मरण
और शत शत नमन!
शत शत नमन!


कविता झा
कलकत्ता

0
0 0 votes
Article Rating
98 Comments
Inline Feedbacks
View all comments