शिक्षक
जननी,
प्रथम, सर्व श्रेष्ठ शिक्षक होती है अपनी,
लिए गोद में पीना खाना है सिखलाती;
नन्हें नन्हें पैरों से चलना है वो सिखलाती।
अब बारी आती है
उन शिक्षकों की,
जो प्यारे प्यारे नौनिहाल को,
सहनशक्ति बिन विचलित हुए
क ख ग
ए बी सी का पाठ पढ़ाते हैं,
ख़ुद बच्चा बन
बच्चों के संग मछली जल की रानी
और आलू कचालू गाते हैं,
नौनिहालो के मानस पटल पर
वह अपनी छाप
अमिट, अटल कर जाते हैं।
शिक्षक फिर वो आते हैं,
जो बच्चों में ज्ञान दीप जलाते हैं
हिन्दी अंग्रेज़ी,
इतिहास भूगोल,
गणित व विज्ञान से अवगत कराते हैं,
अच्छे बुरे कर्मों का भेद
उन्हें बताते हैं।
शिक्षक वो
जो तकनीकी पढ़ाई पढ़ाते हैं,
होशियार, होनहार उन्हें बनाते हैं,
अपनी रोज़ी रोटी
और दुनिया में नाम कमाने की
क्षमता वो सिखलाते हैं।
शिक्षक के अथक परिश्रम से
स्वाभिमान और परिपक्व शिष्य,
अपनी-अपनी राह पर,
सशक्त हो निकल जाते हैं।
जीवन के किसी मोड़ पर
यदि शिक्षक उनके दिख जाते
ख़ुशी के आँसु
अविरल गिरने लग जाते।
शिक्षक के चरणों में झुक
शिष्य निहाल हो जाते हैं
गर्व से शिक्षक उन्हें निहार,
हज़ारों आशीष दे जाते हैं।
बड़े विनम्रतापूर्वक,
सभी शिक्षकों को नमन है।।
अनिता सिन्हा
साहित्यकार
वडोदरा, गुजरात