मन मंदिर में बस गए राम
अयोध्या में आयी पुण्य बेला,
साकार हुई जो बसी छवि।
दिशाएं सुरभित, देव मगन,
विस्मित, हर्षित है आज रवि।
भक्तों के सपने आकार ले रहे,
पीयूषवन्त छवि नयनाभिराम।
मन मंदिर में बस गए राम।
लंबे संघर्ष का विकट काल,
भूला नहीं रक्तिम इतिहास।
प्राणों की आहुतियाँ पड़ी यहाँ,
तब फलित हुआ यह दृढ़ प्रयास।
हे राम भक्त बजरंग बली,
पूरा करना यह पुण्य काम।
मन मंदिर में बस गए राम।
इस मंदिर के संघर्ष काल के
वर्षों को पल भर जीना।
राम भक्तों की जली बोटियाँ,
गोलियों से छलनी हुआ सीना।
पग वही, जो रामपथ पर
बढ़े निरंतर, पाए विश्राम।
मन मंदिर में बस गए राम।
भव्य मंदिर, राम का होगा
भारत – संस्कृति का विस्तार।
विश्व में परस्पर विश्वास बढ़ेगा,
मानव मूल्य होंगे साकार।
रामराज्य की हो थापना,
जननायक, अभिराम राम।
मन मंदिर में बस गए राम।
ब्रजेन्द्रनाथ
जमशेदपुर, झारखंड