अयोध्या नगरी
अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह नगर पवित्र सरयू नदी के किनारे पर बसा हुआ है। इसे ‘कौशल देश’ भी कहा जाता था। अयोध्या बौद्ध धर्म, हिन्दू धर्म का पवित्र और प्राचीन तीर्थ स्थल में से एक है जैन धर्म का शाश्वत तीर्थक्षेत्र है। यह सप्त पुरियों में से एक है।
अयोध्या न केवल एक नगर है अपितु एक आस्था का प्रतीक भी है । उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर शहर के पास ही यह अयोध्या नगरी है। यह नगर सरयू के किनारे बसा है।इसे कौशलपुर भी कहा गया है।प्राचीन काल से ही अयोध्या अयोध्यानगरी ही कहलाती रही है चाहे वह वेदों का समय हो , रामायण काल हो या और आगे जाकर जैन बौद्ध काल से गुजरती हुए आधुनिक काल का समय हो, सम्पूर्ण यात्रा इस बात की गवाही देता है कि अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या ही रही है।
समय तक की यात्रा करते हुए यह पावन राम जन्म भूमि बन पूजित रही है। जैन और बौद्ध धर्म के लोगों ने भी इसके आसपास अपने मन्दिरों के निर्माण करवाये । परन्तु जब विदेशी आक्रान्ताओं का आगमन हुआ तब मन्दिरों की इस नगरी ने अपने पावन मन्दिरों को मलेच्छों दर्शाया तोड़ा जाता हुआ भी देखा और खून का
घूंट पीकर बिलखती रही। उसके आंसुओं से सरयू में भी उफान आ गया होगा।
अनिरूद्घ जोशी जी के अनुसार,”कहते हैं कि मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय अयोध्या में श्रीराम के जन्मस्थान पर स्थित प्राचीन और भव्य मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनवाई थी, जो 1992 तक विद्यमान रही।बाबरनामा के अनुसार 1528 में अयोध्या पड़ाव के दौरान बाबर ने मस्जिद निर्माण का आदेश दिया था। अयोध्या में बनाई गई मस्जिद में खुदे दो संदेशों से इसका संकेत भी मिलता है। इसमें एक खासतौर से उल्लेखनीय है। इसका सार है, ‘जन्नत तक जिसके न्याय के चर्चे हैं, ऐसे महान शासक बाबर के आदेश पर दयालु मीर बकी ने फरिश्तों की इस जगह को मुकम्मल रूप दिया।’ हालांकि यह भी कहा जाता है कि अकबर और जहांगीर के शासनकाल में हिन्दुओं को यह भूमि एक चबूतरे के रूप से सौंप दी गई थी लेकिन क्रूर शासक औरंगजेब ने अपने पूर्वज बाबर के सपने को पूरा करते हुए यहां भव्य मस्जिद का निर्माण कर उसका नाम बाबरी मस्जिद रख दिया था।
यदि किसी के घर को तोड़कर कोई अपना घर बनवा ले तो यह क्या कहलाता है सभी समझ सकते हैं ।राम ने अयोध्या में जन्म लिया था और उनकी जन्म भूमि अयोध्या नगरी ही थी और जन्मस्थली का भी सभी को पता है।आज से नहीं हजारों वर्षों से सभी साहित्यकारों और इतिहासकारों ने भी इस बात की पुष्टि की है।
अयोध्या के दर्शनीय स्थलों में बहुत सारे स्थान हैं जो राम के सत्यता की परिपुष्टि करते हैं।अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है। पावन सरयू नदी यहां से होकर बहती है। सरयू जी के किनारे कई घाट हैं। इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेषतः प्रसिद्ध हैं।यहां का प्रमुख मन्दिर रामजन्म भूमि ही है जिसे तोड़कर उसपर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था पर सीता रसोई और राम चबूतरे पर पूजा अनवरत जारी रहा।
अब जब कोर्ट ने राममंदिर निर्माण के लिए रास्ता खोल दिया है बेसब्री से उस दिन का इन्तज़ार हम सभी को है जब राम टेंट से निकल कर अपने घर में प्रवेश करेंगे। राममंदिर के साथ ही साथ अयोध्या में विकास के अनेकों रास्ते खुल जायेंगे ।केवल पर्यटन के क्षेत्र में अयोध्या बहुत विकास कर सकती है।बाहर से लोग यहां आयेंगे तब होटल तथा यातायात के क्षेत्र में भी विकास हासिल होगा । इन सबसे केवल हिन्दू ही नहीं सभी धर्म
के लोगों को रोजगार हासिल होगा, धनार्जन करने का मार्ग प्रशस्त होगाअर्थात सब का साथ सब का विकास।राम के आगमन के साथ ही साथ रामराज्य की स्थापना हो जायेगी।
डॉ सरला सिंह “स्निग्धा”
साहित्यकार
दिल्ली