“आज़ाद हूँ……”
पल दो पल की बातें नहीं, ख़्यालात लिख रहा हूँ
उठ रहे मन में अनेकों सैलाब, बहाव लिख रहा हूँ
आज़ाद हूँ , आज़ादी की जज़्बात लिख रहा हूँ
अबकी आज़ादी, खुद को “आज़ाद” लिख रहा हूँ
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ……….!!
किसने क्या कहा, किसने क्या किया
कल पर छोड़ता हूँ,
रुख़ हवाओं का है कुछ सख्त
रुख़ हवाओं का अभी मोड़ता हूँ
आज़ाद हूँ, खुद को आज़ाद लिखता हूँ
आज़ाद हूँ…, आज़ाद लिख रहा हूँ…!!
आस्तीन के सांप अभी भी वतन में पलते हैं
जितनी हो उनकी मर्ज़ी सियासत करते हैं
कुछ को भारत का गौरव गान नहीं भाता
हम तुमसे नहीं, तेरे सोच से नफ़रत करते हैं
है मिला हमको दुनिया में ऐसा अवसर
हम तान सकें सीना, ऊँची रक्खें गर्दन
आज़ाद कंठ से आज़ादी का करें गान
आज़ादी का दिन मना रहा हिन्दुस्तान
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ…..!!
आजाद ख्याल होना, गलत बात नहीं…
पर इसकी कोई हद तो होगी…???
है बंद मुट्ठी में भविष्य
नहीं हमको कोई संशय है
जो मिली हमें पूर्वजों से ढाल है
बना बनाया ही जो, क्यों करें हम उसे बर्बाद है
अपरिचित का आकाश तोड़ना है हमको
थोड़ा, थोड़ा अपनापन बोना है सबको
किस किस को दुँ आज़ादी की परिभाषा
अंतर्द्वंद्व के दलदल में जिसको फसना ही है
“अभी मिली नहीं आज़ादी”, उसको कहना ही है
उनकी सोच बदल जाए तो सच्ची आजादी होगी
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ……….!!
आपदा में है देश फंसा, विपदा बड़ी ये भारी है
देश बचाना कहो आखिर किसकी जिम्मेदारी है ?
आजादी के दिन आज़ादी का गीत सुनाता हूँ
संभल जाओ ! देशद्रोहियों, शांति के द्रोहियों
यह मिट्टी हिंदुस्तान की है, बस इतना बताता हूँ
आपस की रंजिश,नफ़रत भरे,
उन संवादो से आजादी हमको पाना है
अभिव्यक्ति की सीमा कितनी
इस द्वंदवाद से आजादी हमको पाना है
“हमें चाहिए आजादी, हम लेके रहेंगे आजादी”
इस घिनौने सोच से अजादी हमको पाना है
क्या आजादी का मतलब मनमर्जी करना है…?
लगता है मिजाज मौसम का बदल रहा है ..
मिट जायेंगें तेरे कदमों के निशां
देखो, कोई कदम उन पर चल रहा है
जो रह गया था दबी ख्वाहिशों में
ख्वाब वो सुनहरे कल का पल रहा है
ना रहे कोई ग़फ़लत में, यह आज का भारत है,
इसीलिए कहता हूँ, सुन लो ,अजय
आज़ाद हूँ, ख़ुद को आज़ाद लिख रहा हूँ ..
पल दो पल की बातें नहीं, ख़्यालात लिख रहा हूँ
आज़ाद हूँ , आज़ादी की जज़्बात लिख रहा हूँ
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ……!
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ……….!!
“आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” …!!!!!!
…… अजय मुस्कान