मजदूर
जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है मोंटी की तो चांदी ही चांदी हो गई है। होमवर्क, स्कूल से पूरी छुट्टी।आराम से पूरा दिन घर में मम्मी पापा के साथ मजा ही मजा।जो मन हो वही मम्मी से बनवा के खाओ। और तो और शूटिंग का भी सिरदर्द नहीं। नहीं तो पढ़ाई के साथ साथ शूटिंग करने भी जाना पड़ता था। कभी कभी तो लगातार शूटिंग करनी पड़ती थी।थकावट होती थी वह अलग।साथी बच्चे आराम से खेलते रहते और वह? जब सीरियल में काम करने लगा तो शुरुआत में तो बहुत अच्छा लगा पर फिर बोर सा लगने लगा वही वही काम करते करते।वह तो कहाँकरना चाहता था पर आर्थिक तंगी ने मजबूर कर दिया उसके मम्मी पापा को और उसे काम करना पड़ा।कल ही उसने सुना मम्मी कह रही थीं कि अगर लॉक -डाउन इसी तरह चलता रहा तो घर कैसे चलेगा ?अब तो गांठ का पैसा भी खतम हो रहा है।लॉकडाउन अब धीरे धीरे अनलॉक हो रहा है।शूटिंग शुरू होने वाली है उसे काम पर जाना ही होगा।आखिर वह भी तो एक मजदूर है- बाल कलाकार मजदूर।
आनन्द बाला शर्मा
वरिष्ठ साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड