भारत और आत्मनिर्भरता

भारत और आत्मनिर्भरता

जब विश्व कोरोना वैश्विक आपदा से लड़ रहा था भारत कोरोना को हराने के साथ साथ खुद को आत्मनिर्भर बनाने के सपने संजोए आगे बढ़ रहा था। इस महामारी से पूरी मनुष्य जाति प्रताड़ित थी और इस पर किसी तरह काबू पाने के लिए जूझ रही थी। कारखाने ,दफ्तर सभी निर्माण कार्य बाधित हो गये थे और देश की अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त चोट पड़ी थी। सबसे ज्यादा निम्न और मध्यम वर्ग प्रभावित हुआ था। सरकार कई नई योजनाएं लेकर आगे आई थी और हर संभव मदद कर रही थी।

अब यह आवश्यक हो गया था कि देश का पैसा देश में ही रहे और देशवासियों के काम आए। इसी मकसद से सरकार छोटे उद्योगों और व्यापारियों को प्रोत्साहित कर रही थी। बड़ी विदेशी कंपनियों और ब्रांड्स को छोड़कर देशी सामानों की खरीद और उनके उपयोग को बढ़ावा देने का काम सरकार कर रही है और यही आज की आवश्यकता भी है ।

इस योजना में फंड जुटाना सबसे बड़ा काम है । बैंकों को इस राह में आगे आना चाहिए और आसान किश्तों में लोन मुहैया कराना चाहिए। व्यापारियों और उद्योगपतियों की ट्रेनिंग और क्षमता भी जरुरी है सफलता के लिए।
जहां यह मानवता के लिए कठिन समय था वहीं कई बातें इस कठिन समय में सामने आयीं और कई मिथ गलत साबित हुए।

अमेरिका,फ्रांस रूस आदि सभी देशों के आगे भारत इस आपदा प्रबंधन में श्रेष्ठ साबित हुआ। विश्व के अन्य हिस्सों की अपेक्षा भारतियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी श्रेष्ठ निकली। भारतियों की‌ जीवन पद्धति सभी से बेहतर और लाभकारी साबित हुई। इस आड़े वक्त अनेक देशों को औषधि पहुंचा कर भारत ने एक उदाहरण कायम किया और एक दिशा देने वाला ,मदद देने वाला देश सिद्ध हुआ जिसकी सभी ने तारीफ की।

पूंजीपतियों और उच्च वर्ग के खिलाफ जो भ्रांति थी वो नष्ट हुई। वो मजदूरों और सरकार की सहायता के लिए जिस तरह सामने आए और खुले दिल से दान दिया वह तारीफ के काबिल था। कई मंदिरों ने भी अपना खजाना देश के लिए खोल दिया था। कठिन समय जो देश‌ की मदद करे वह सचमुच एक सच्चा देशभक्त और मानवता का प्रतीक है। हमारी पुलिस जिसको हमेशा अपनी कठोरता के लिए जाना जाता था इस समय उनका करुणा और मानवीय पक्ष सामने आया। मेडिकल, सुरक्षा और सफाई कर्मचारियों सभी के लिए हमारा सर श्रद्धा से झुक जाता है। देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए मानवता की सेवा की। हम सभी शीघ्र ही इस महामारी से निकल आयेंगे और फिर से सुचारू रूप से जीवन व्यतीत होगा यह आशा ही नहीं हमें पूर्ण विश्वास है ।

डॉ रेणु मिश्रा
गुड़गांव हरियाणा

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