Father’s Day

मेरे आदर्श और मैं उनकी छाया

पापा के बारे में मैं क्या कहूं। दुनिया के सबसे अच्छे पिता थे। मेरे सबसे अच्छे मित्र सबसे अच्छे सलाहकार और सबसे अच्छे मार्गदर्शक थे। मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं के कारण हूँ।पिता जी की सबसे अच्छी बात थी कि वह अपने बच्चों के साथ समय बिताते थे मुझे आज भी अच्छे से याद है कि रात में खाना खाने के बाद वह कम से कम एक घंटे हम लोगों से बात करते थे। हमारी समस्याएं सुनते थे उनका निराकरण करते थे। उन्होंने बेटियों को इतना सम्मान दिया था कि हम अपने आप को स्पेशल महसूस करते थे। बहू को भी उन्होंने अपनी बेटी समझा। शुरू से ही वह हमें नैतिक शिक्षा देते थे और समझाते थे कि यह जीवन सिर्फ अपने लिए नहीं है हमें दूसरों के लिए भी कुछ करना चाहिए। कान्यकुब्ज समाज के अध्यक्ष थे और बहुत से बेटियों की उन्होंने शादी कराई थी और उन्हीं के पुण्य हैं कि हम सभी बहने आज सुखी और संपन्न है।
बचपन से हमारे गुणों को विकसित करने में भी प्रयत्नशील रहते थे।हमें प्रोत्साहित करते कि पत्र लिखो और जब हम उन्हें पत्र लिखकर दिखाते तो छोटी-छोटी त्रुटियों को दूर कर कर एक पत्र पोस्ट कर देते। हमारी बुआ हमारी दीदी सब बहुत खुश होते कि देखो बेटियों ने हमें पत्र लिखा है। अर्थ यह भी था कि वह हमें रिश्तो से भी जोड़ते थे और उनकी अहमियत भी बताते थे।
उन्होंने हमें दिमाग से आधुनिक बनाया। मर्यादा के साथ-साथ किस तरह हम आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं यह सिखाया।
गलत बात का विरोध करना यह गुण उन्हीं से हमको मिला है। उन्होंने कोलकाता में कान्यकुब्ज समाज की स्थापना की और लोगों को इस समाज से जोड़ा। और उन्हीं के नक्शे कदम पर चल कर आज मैं भी जमशेदपुर में कान्यकुब्ज को समाज से जुड़ी हुई हूँ।
समाज सेवा का बीज बचपन से ही उनके कार्यों द्वारा हमारे अंदर पनप गया था। हमारे घर में कभी भी दूसरों की बुराई नहीं की जाती थी और ना ही माता-पिता दोनों प्रपंच करते थे।

बच्चों को उन्होंने अच्छी शिक्षा दी और आज सभी अच्छे मुकाम पर हैं। अपने स्टाफ की भी वह बहुत इज्जत करते थे और उन्होंने हमें सिखाया था कि आदमी बड़ा या छोटा सभी की इज्जत करनी चाहिए। हम सभी को बड़ों की इज्जत करना और छोटों को प्यार करना उन्हीं ने सिखाया। परिवार के साथ साथ समाज के प्रति भी जिम्मेदारी की भावना उन्हीं के द्वारा दी गई संस्कारों से हमें मिली। मुझे गर्व है कि मैं है ऐसे पिता की संतान हूँ।

सीमा बाजपेई
साहित्यकार

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