पिता

पिता

पिता
एक शख्स नही
संस्कार
आदर्श
मयार्दा
धर्म
सहनशीलता की परिभाषा है

पिता
रामायण
कुरान
बाइबिल
गुरुग्रंथ
गीता का ज्ञान भरा भंडार हैं

पिता
जीवन के संघर्ष में
कभी न हारने का संदेश देते
है अँधेरे तो क्या हुआ
रौशनी को तु तलाश कर
यही सिखलाते हैं पिता

पिता
होते हैं बरगद की छाँव जैसे
नींव जैसे खड़ी ऊँची इमारत
पिता से ही
घर वृदावन लगता
बैठक ईश्वर का आला

पिता
जीवन की धूप में
बन जाते सर पर छाता
अपनी संतानों से
रखते सचमुच नेह का नाता

शोभा गोयल
जयपुर

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