जिंदगी आपकी फैसला आपका
शराब की दुकानें खुल चुकी है।जनता ने एक बार फिर सरकार को कटघरे में खडा कर दिया है । समझ नहीं आ रहा रोटी जरूरी है या शराब कोई कह रहा है ।मजदूर लोग जो रोटी के लिए पहले ही तरस रहे थे । अब अपने घरों में लड़ाई झगड़ा कर के दारू के लिए पैसा जोडेगें पर मुझे लगता है। इसका रोटी ,लड़ाई , मार-पिटाई से कुछ लेना देना नही गरीब कल भी गरीब था आज भी गरीब है।
अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने अपने शहर वापस जा चुकें है । दोस्तों के साथ बैठना मज़लिस जमाना आज भी मना है । घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी है । एक मजदूर एक कमरे में अपने आठ ,दस जन के परिवार के बीच बैठ कर कितनी शराब पी सकता है,पता है आप लोग कहोगे कि पीने वाले किसी की परवाह नही करते ,जी सही जो परवाह नहीं करते वो ,वो लोग हैं जो फिर बंद में भी इंतजाम कर रहे थे ।अब सारा भारत गर्त में जाने के कगार पर खड़ा है ,जब देश की अर्थव्यवस्था डूब रही है,जब किसान , छोटा बड़ा, दुकानदार , रियल एस्टेट डूबने को है, दिहाड़ी मजदूर किसान,आत्महत्या के कगार पर है तो यह शराब ही है,जो ढाल बन कर सरकार को संभाल सकती है।
मुझे एक बात बताईये ,घर से बाहर गोलियां चल रही हो,तुफान आ रहा हो,या जंगली जानवर घूम रहा हो तो
आप क्या करेंगे जाहिर सी बात है या तो घर से बाहर नहीं जायेंगे ,या अपनी सुरक्षा का इंतजाम करके जायेंगे।जनता विशेष को इससे नुकसान हो सकता है पर अगर जी एस टी बढ़ा दिया जाये ,निश्चित समय के लिए खोली जायें और मौत के डर को समझा जाये तो इस मुसीबत से बचा जा सकता है, नियम कानून जो भी बने वो सारे देश के हर राज्य में एक से हों।दारू खोल कर 30 फसीदी लोग बेवकूफी कर सकते है ,पर बाकी 70 अगर समझदार बनें तो उनक़ो इससे बचाया जा सकता है और वो तीस तो अगर अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेते तो वैसे भी मरेंगे ,चाहे भूख हो ,चाहे महामारी ,चाहे आत्महत्या,चाहे दुर्घटना या शराब ,तो पैसे का सर्कुलेशन भी अहमियत रखता है ,बात कुल मिलाकर इतनी सी
चार साल के बच्चे को भी अगर हम रोज डराते़ रहेंगे कि आग गर्म होती है नहीं छूना,नहीं मानेगा जब तक खुद अनुभव नहीं करेगा तो करने दीजिए अनुभव तभी सीख पायेंगे ।
जब हमें यह पता है कि हमें बारिश आंधी तूफान , गोलाबारी ,युद्ध की परिस्थितियों में या तो घर से निकलना नहीं और अगर निकलना है तो पुरी सुरक्षा लेकर।तो बंधुओं बारूद के ढेर पर बैठें है अगर खुद ही तीली लगायेंगे तो दोषी कौन?
तो बस , बस मै अपनी अपनी चितां करें
” पहले मैं,फिर मेरा परिवार ,फिर मेरा व्यापार ,फिर है बाकी सब संसार ”
तो याद रखो
(जल गया मैं तो बचा ही क्या ?
और बच गया मैं
तो जला ही क्या)
अब और इंतज़ार ना करें,सरकार एक निश्चित समय तक लॉकडाउन रख सकती धीरे धीरे लॉकडाउन खत्म हो जाएगा सरकार भी इतनी सख्ती नहीं दिखाएगी क्योंकि सरकार ने आपको कोरोना बीमारी के बारे में अवगत करा दिया है, सोशल डिस्टैंसिंग, हैण्ड सेनिटाइजेशन इत्यादि सब समझा दिया है,बीमार होने के बाद की स्थिति भी आप लोग देश और दुनिया में देख ही रहे है अब जो समझदार है वह आगे लंबे समय तक अपनी दिनचर्या, काम करने का तरीका समझ ले।सरकार 24 घंटे 365 दिन आपकी चौकीदारी नहीं करेगी,आपके एवं आपके परिवार का भविष्य आपके हाथ में है लॉकडाउन खुलने के बाद सोच समझ कर घर से निकले एवं काम पर जाये… व नीयत नियमानुसार ही अपना कार्य करे l
क्या लगता है आपको ? आनलॉक के बाद एकाएक कोरोना चला जायेगा, हम पहले की तरह जीवन जीने लगेंगे ? नही, कदापि नही। ये वायरस अब हमारे देश और दुनिया में जड़ें जमा चुका है, हमे इसके साथ रहना सीखना पड़ेगा ।सरकार कब तक लॉकडाउन रखेगी ? कब तक बाहर निकलने में पाबंदी रहेगी ? अपने बर्तनों को बदलना होगा अल्युमिनियम, स्टील, टेफ़लोन कोटिंग आदि से निजात पानी होगी,हमे भारी बर्तन जैसे पीतल,कांसा, तांबा, मिट्टी को अपनाना होगा जोप्राकृतिक रूप से वायरस की खत्म करते हैं अपने आहार में दूध, दही, घी की मात्रा बढ़ानी होगी। भूल जाइए जीभ का स्वाद, तला-भुना मसालेदार, होटल वाला कचरा। कम से कम अगले 2 -3 साल तक तो ये करना ही पड़ेगा।
तभी हम सरवाइव कर पाएंगे। जो नही बदले वो खत्म हो जाएंगें । समझदार और व्यवहारिक बने और इस बात को मान कर इन पर अमल करना शुरू कर दें।
जिंदगी आपकी फैसला आपका।
सोनिया अक्स़
साहित्यकार
हरियाणा