कोविड-19 और विश्व

कोविड-19 और विश्व

साल 2020 नववर्ष की शुरुआत मंगल कामना एवं बधाइयों के साथ साथ कोरोना वाइरस की सूचनाओं से हुई । अंतर्राष्ट्रीय समाचारों में देश दुनिया की खबरों में कोरोना संक्रमण की सूचनाएं आने लगी ।चीन से कुछ ऐसे विडियो प्रसारित हुए जिसमें लोग खड़े- खड़े गिर रहे थे। खबरों का बाजार गर्म होने लगा और धीरे-धीरे यह संक्रमण महामारी के रूप में बदलने लगा। एक नए किस्म का कोरोना वायरस मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में देखा गया। बहुत से लोग सर्दी खांसी और निमोनिया के लक्षण के साथ दिखाई दिए। जब तक उनका इलाज संभव हो पाता तब तक इस संक्रमण से मृतकों की संख्या बढ़ने लगी । लगातार बढ़ती मौत के आंकड़े इस बात पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगाने लगे कि यह कौन -सी महामारी है ? इसके लक्षण लगभग सार्स वायरस जैसे ही थे पर अध्ययन के उपरांत पूरे शोध के बाद इसे कोरोना नाम दिया गया ।

चीन के वूहान शहर का सी फूड मार्केट अपने अनोखे मछली एवं जीवित पशुओं की व्यापार के लिए जाना जाता है। वूहान शहर के इस वेट मार्केट की जो तस्वीरें संज्ञान में आई हैं उसमें लगभग ऐसे ऐसे जीव जंतुओं का व्यापार होता है जिसे खाने की कल्पना भी नहीं की जा जाती लेकिन स्वाद और उन जीवों की मांग से इस व्यापार को काफी मजबूती प्रदान की है। इस वायरस पर चीनी वैज्ञानिकों ने शोध किया और बाद कोरोना वायरस की एक नई नस्ल की पहचान हुई जिसे 2019-nCoV नाम दिया गया ।वायरस के संक्रमण की पुष्टि उन लोगों में सबसे पहले हुई जो सीधे उस बाजार से जुड़े हुए थे। कोरोना वायरस एक महामारी के रूप में सामने आया।इस वायरस की सबसे विशेषता यह है कि अगर एक संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आता है तो यह वायरस उसके शरीर में प्रवेश करके अपना रूप बदल लेता है । इस कारण विश्व स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर किसी भी प्रकार का वैक्सीनेशन बनाना चुनौतिपूर्ण कार्य हो गया है । इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए सही प्रक्रिया जानने ,वैक्सीन बनाने और शोध परक नतीजे आने में लंबा समय लग सकता सकता है।

जनवरी माह के अंत तक चाइना के बाद विश्व के लगभग सभी देशों में कोरोना का हाहाकार मचना शुरू हो गया । अमेरिका जैसे शक्ति संपन्न राष्ट्र में भी कोरोना से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही थी। जहां लाशें दफन करने के लिए कॉफिन और जगह की कमी पड़ गई है । इटली जैसे स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल देश की यह स्थिति है कि तमाम स्वास्थ्य सुविधाएं होने के बावजूद भी वह कोरोना पीड़ितों की मृत्यु दर को रोक नहीं पा रहे हैं । सारे विश्व में इस बीमारी का कहर दिखाई दे रहा है । लगभग हर देश इस महामारी से परेशान हैं। जीवन पर कोरोना का खौफनाक पहरा सा जैसे लग गया है ।आबोहवा में एक भय सा घुला हुआ है ,जहाँ हर आदमी का जीना मुश्किल है। संक्रमण ,महामारी और अनगिनत मौत के आंकड़ों ने सारे विश्व को चिंता में कर दिया। फरवरी माह में यह आंकड़े और बढ़े । चीन व उसके आसपास के तमाम देशों में इस वायरस से पीड़ित, संक्रमित और मृत लोगों के आंकड़ों का खुलासा होने लगा। 20 मार्च 2020 तक थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान, मकाऊ, हांगकांग, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, सिंगापुर, वियतनाम,भारत,ईरान ,इराक ,इटली ,
कतर ,दुबई, कुवैत और अन्य 160 देशों में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के मामले प्रकाश में आने लगे। दहशत भरे मौत के आंकड़ों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सारे विश्व में आपातकाल की घोषणा की।

23 मार्च 2020 हमारे देश में कोरोना से बचाव और इसके फैलाव को रोक के अग्रिम कदम उठाए गए । 23 मार्च से सारा देश लाॅग डाउन हो गया । सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम प्रशंसनीय रहा। कोरोना वायरस एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से संपर्क में आने से ही फैलता है इसलिए 1 मीटर सामाजिक दूरी बनाए रखना अहम हो गया । सुरक्षा के कई नियम बने । लोगों को जागरूक करने के लिए कई सूचनाएं प्रसारित होने लगी । व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम , न्यूज़ चैनल , समाचार पत्र यहां तक कि जनसंपर्क विभाग द्वारा जनहित में कई घोषणाएं भी की गई और आम आदमी की सुरक्षा को घरों की चारदीवारी में सीमित कर दिया ।

वैश्विक बाजार पर कोरोना का असर दिखाई दे रहा है। सारा बाजार ठप पड़ा है। सारे विश्व में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। रोजमर्रा की आवश्यकता जैसे खाद्य सामग्री इत्यादि के अलावा रोजगार से जुड़े सारे क्षेत्र बंद है।स्कूल, कॉलेज,मॉल, सिनेमा घर ,सड़कें बस, रेल यात्रा ,हवाई यात्रा, देशाटन ,मंदिर पूजा स्थल ,दर्शनीय स्थल, हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ है। विश्व के लगभग सभी देश लाॅकडाउन चल रहे हैं। लाॅकडाउन के कारण विश्व का आर्थिक बाजार टूट सा गया है इस कारण सभी एशियाई और यूरोपीय देशों पर आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है। 8 घंटे से 12 घंटे काम करने वाले उन्नत हाथ लाॅकडाउन में वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो कहीं नो वर्क नो पे को अपनाया गया है ।

संपूर्ण लाॅकडाउन की घोषणा के बाद सुरक्षा के दृष्टि से लोग अपने घरों में है । पारिवारिक मेल मिलाप और दिनचर्या में तो परिवर्तन आया है परंतु रोजगार, नौकरी ,पगार सब पर कोरोना का खतरनाक साया मंडरा रहा है। कोविड -19 के साथ साल का पांचवां महीना बीत रहा है आने वाला समय भी चिंताजनक है। भारत विश्व का आठवां गर्म प्रदेश है फिर भी कोरोना से पीड़ित लोगों की लगभग सवा लाख तक पहुंच गई है ।

लॉकडाउन के इस खौफ जद माहौल में ऐसा भी लगता है जैसे कहीं ना कहीं हमारी तेज रफ्तार को एक विराम सा लगा है। बड़े बुजुर्ग कह गए हैं- “जो होता है अच्छे के लिए होता है” अतः यह विराम कई मायने में शुभ ही है जैसे टूटते मूल्य, सिकुड़ते परिवार, आपसी रिश्तों में बढ़ता एकाकीपन, इन सब को जैसे पुनः कोई संजीवनी मिली हो। आज परिवार की चारदीवारी में लोग नैतिक मूल्य और संस्कारों को जी रहे हैं। हम अपनी पारिवारिक दिनचर्या को उसी प्रकार जी रहे हैं जैसे एक बहुत बड़ा वर्ग आज से बीस साल पहले पारिवारिक मूल्यों को जीता था। जब छोटी छोटी बातों में बड़ी-बड़ी खुशियां मिलती थी, जब प्रायः बरामदे और छतों पर चिप्स और पापड़ बनाती महिलाएं एकजुट होती थी। घरेलू काम निपटा कर कुछ हंसी ठिठोली होती थी। साथ में बैठकर एक साथ भोजन करने का आनंद लिया जाता था । जो इस भागमभाग में कहीं खो सा गया था। आज प्रकृति भी अपने उन्माद में है। वातावरण स्वच्छ हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण घट गया है। नदियों का जल साफ हो गया है। वन्य प्राणी भी सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं। अपनी दिनचर्या में इस भौतिकवादी जीवन शैली का ऐसा असर लेकर हम चल रहे थे कि सुबह से लेकर शाम तक ऑफिस में और संडे मॉल, होटल ,थियेटर और स्ट्रीट वाॅक में गुजरता था। अगले दिन फिर हफ्ते भर की वहीं भागदौड़। भले ही विश्व कोरोना की चिंता में बेहाल है ।रोजगार सिकुड़ गए हैं। आर्थिक संकट सिर पर है।आने वाले समय में संघर्ष बढेगा फिर भी ये फुर्सत के पल हमें मनन चिंतन और स्वाध्याय से जोड़ रहे हैं । स्वयं से स्वयं का परिचय हो रहा है। समय तो बीतेगा लेकिन जाते जाते यह बहुत सारे मूल्यों में ऐसा संशोधन करेगा कि आबोहवा फिर से स्वस्थ हो जाएगी। दिनचर्या गा उठेगी। लोग आनंदमय जीवन जीने लगेंगे।

डॉ उमा सिंह किसलय
साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड

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