लॉकडाउन
कोरोना वैश्विक महामारी ने हम सब के जीवन को रोक सा दिया है । सब कुछ बंद है, आवागमन ,व्यापार , पर्यटन , उद्योग धन्धे , होटल रेस्टोरेंट , सिनेमा उद्योग , नौकरियां आदि । सब कुछ वर्क फ्रॉम होम हो गया है चाहे वह शिक्षा यो या सरकारी , प्राइवेट काम काज । इंसान एक सामाजिक प्राणी है किन्तु इस महामारी की मार से जीवन मरण भी बहुत प्रभावित हुए हैं , सोचिये मानव की जीवन भर की कमाई कब पता चलती है जब उसके मृत्यु संस्कार में एक हुज़ूम हो किन्तु अब सरकारी मानकों के चलते ये भीड़ अब मात्र बस पांच दस लोंगों तक सिमट गयी है और वो भी जो जरूरी रिश्तेदार दूर शहर या विदेश मे रहते हैं वो इस बंद के चलते आ ही नहीं सकते। ये लॉकडाउन इस महामारी की चैन तोड़ने के लिए बहुत आवश्यक है किन्तु तभी जब जनता सौ फीसदी सारे गाइड लाइन्स मानें लेकिन जब ये कट्टरवाद , राजनीतिक समीकरणों और कहीं कहीं भ्र्ष्टाचार की बलिवेदी पर चढ़ जाए तो कैसे कामयाब हो पायेगा! इस वैश्विक महामारी ने न सिर्फ हमारे देश वरन विश्व की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है ।
चीन जैसे विस्तारवादी ,तानाशाह और लोभी राष्ट्र ने इसे सम्पूर्ण विश्व में जानबूझ कर फैलाया है उसने इस वायरस को इस प्रकार अपने वुहान स्थित वाइरोलोजी लैब में इस चालाकी से डिज़ाइन किया है कि यह अपने को बार बार म्यूटेट कर वैज्ञानिकों को सकते में डाल रहा है निःसंदेह यह एक जैविक हथियार है जो एक तीसरे विश्व युद्ध में प्रयोग किया गया है जिसमे एक तरफ चीन है तो दूसरी तरफ ये विश्व ।
दुनिया की महाशक्ति अमेरिका , यूरोप के विकसित राष्ट्र , ऐशियाई देश, खाड़ी देश और अब अफ्रीकी देश सब इससे लड़ रहे हैं । किसने सोचा था कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था इस प्रकार टूटेगी , जान माल का नुकसान तो भयावह है ही जनता इस बात से डरी हुई है कि इस तूफान के जाने के बाद क्या होगा! जैसा कि सबको ज्ञात है कि यह महामारी मनुष्य से मनुष्य में फ़ैलती है किन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे बताने में और इस बीमारी को महामारी घोषित करने में बहुत देर की है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस ने चीन का पक्ष लिया और इसकी सम्पूर्ण जानकारी देने में देर की, वो तो अब जब महाशक्तियों का भारी दबाव बना है तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्तमान में ये माना है कि ये वुहान से ही आया है । इस बात की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि चीन ने अपने वैट मार्केट खोल दिए हैं , उसने इसे जानबूझकर फैलाया है अगर ऐसा न होता तो क्यों ये चीन के कुछ शहरों तक ही फैला, क्यों चीन ने समय रहते अपने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रोका नहीं , क्यों उसने अपने यहां के मौत को आंकङों को सही सही नहीं बताया , क्यों उसके यहां के करोङो लोगों के फ़ोन नंबर गायब हैं, क्यों उसने अन्य देशों को अपने यहाँ जाँच नहीं करने दी, भला क्यों सारी बातों को साफगोई से नहीं बता देता । लेकिन चीन ये जान ले कि इतने मासूमो को मार कर वह अब चैन से न रह पायेगा , वो अपने देश की सारी खबरों को लीक नही होने देता जो उसके देश में उसकी खिलाफत करता है वो बेमौत मारा जाता है तभी उसने सबसे पहले इसकी जानकारी देने वाले डॉक्टर को संदेहास्पद रूप से मार दिया।
अपने यहाँ सब कुछ नियंत्रण में कर वह अब दुनिया की जेब कतरने की कोशिश में है अब चीन में लॉकडाउन नहीं है उत्पादन कार्य प्रगति पर है , अन्य देशों को घटिया मास्क, पी पी ई किट और अन्य स्वाथ्य संबंधी चीजों का निर्यात कर वह अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत और विश्व को ठेंगा दिखाना चाह रहा है , अब उसकी पोल खुल चुकी है और सभी राष्ट्र उससे कोई संबंध नही रखना चाह रहे है और तो और शक्तिशाली विकसित देशों की खुफिया एजेंसियां चीन की पोल खोंलने के काम तेज़ी से लगी हुई हैं । दुनिया को आगे एक नए बाजार की तलाश रहेगी और अगर भारत इस महामारी को शिकस्त दे आगे बढ़ता है तो शायद कुछ नई उम्मीदें उत्पन्न हो अभी तो भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है , लाखों करोङों मज़दूर पैदल चलने को मजबूर हैं , सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद गरीबी, निर्धनता और अशिक्षा के दो पाटों के बीच पिस ही रही है ,अभी तो आगे बेरोजगारी , गरीबी के अतिरिक्त अपराधों की वृद्धि भी होगी । सितंबर तक इसकी वैक्सीन बनाने के दावे हैं कई देशों के वैज्ञानिक इस अनुसंधान में दिन रात लगे हैं, कोरोना वॉरियर अपनी लड़ाई बहादुरी से लड़ रहे हैं किंतु अब हमें इस विश्व युद्ध को लड़ने के लिए बंदूक की गोली नहीं अपितु दवाई की गोली की प्रतीक्षा है । आगे आगे इस प्रकार के जैविक हथियारों से लड़ने का तरीका ही खोजना होगा ।अब एक नए युग का सूत्रपात होगा क्योंकि इंसान को अभी कुछ और लम्बे समय तक कोरोना से लड़ना पड़े तो उसके साथ ही रहने की आदत डालनी होगी , जरूरी बचाव का पालन करते हुए जीवन को लॉकडाउन से तो निकलना ही होगा और अपने स्तर का युद्ध लड़ते हुए जीवन को चालयमान , उन्नत और आशान्वित रखना ही होगा क्योंकि कहा भी गया है नर हो न निराश करो मन को। मनुष्य आशा रूपी पतवार से इस तूफानी सागर को पार कर ही लेगा और विजयी बन अपनी विजय पताका लहराएगा।
वर्षा सरन
साहित्यकार
मेरठ, उत्तर प्रदेश