श्रमदान

श्रमदान

आधी आबादी
करती श्रमदान
बिन वेतन

ताजमहल
यादगार निशानी
“कटते हाथ”

होते हैं पूरे
मजदूरों के हाथों
स्वप्न हमारे

आनंदबाला शर्मा
साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड

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