मां तुम डरो ना

मां तुम डरो ना

हेलो हेलो समीर बेटा, तुम अच्छे हो ना बेटा? बहू बंटी कैसे है?
सब ठीक है मां। आप और पापा कैसे हैं?
सब ठीक है बेटा। पूरा शहर लॉकडाउन है कोरोना के चलते। ठीक है दिन में कम से कम एक बार विडियो कॉल कर लेना बेटा। तुम भी कनाडा से आ नहीं सकतें अभी और हम दोनों भी जा नहीं सकते। बस हाल-चाल ही पूछ सकते हैं।

सुजीत और संपा दोनों बहुत खुश थे, समीर का जब प्रमोशन हुआ और वो परिवार सहित कनाडा चला गया। तब महसूस हुआ था मेरा बेटा सचमुच लायक है जो उसे इतना बड़ा जॉब मिला। समीर सचमुच बहुत अच्छा बेटा था। बहू लीजा भी बहुत संस्कारी और सुशील थी। साल में एक बार तो पूरा परिवार एक साथ रहते हैं दीवाली में। दिवाली का सात दिन कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।

लेकिन आज उन लोगों की कमी खल रही थी। कोरोना के डर से दोनों को अंदर से हिला कर रख दिया। दोनों एक ही बात सोच रहे थे, अगर मौत हो जाए बेटा शायद दाह संस्कार में भी आ ना सकेगा। जैसे इटली चीन इराक में हो रहा हैं। लाशों को ट्रक में लादकर दफना दिया जा रहा है।

सुजीत को कल से थोड़ा बुखार आया है, पर दोनों डर से डॉक्टर के पास भी नहीं जा रहे हैं। पता नहीं कहीं कोरोना तो नहीं हो गया हो ! शेल्टर होम में दोनों एक दूसरे को छोड़कर कैसे रहेंगे? संपा और सुजीत सोच रहे थे ,काश मेरा बच्चा मेरा पास ही रहता। इस विपत्ति में रुपया पैसा रुतबा सब कुछ बहुत कम लग रहा था। दोनों पति पत्नी हाथ पर हाथ लिए कंधे पर सर रखकर यही सोच रहे थे। सामने शोकेस पर रखा फोटो फ्रेम में अपना फैमिली फोटो दोनों देख रहे थे। गालों से आंसू टप टप बहती जा रही थी।एक डर दोनों को चैन से रहने नहीं दे रहा था।

 

नीता सागर चौधरी
साहित्यकार
जमशेदपुर,झारखंड

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