अनमोल जीवन की सीख…
जिस घर के लिए चिंता करते आये,
आज उसमे भी उदासी छाऐ।
ना किसी से मिलना मिलाना ,
ना कही बाजार जाना।
पहले ढेरो चीजे भी कम पड जाऐ,
आज कम मे भी गुजारा हो जाए।
सूनी गलियों का देखो नजारा ,
ना बच्चे खेलते अपना बचपन प्यारा।
बंद दरवाजे कहानी बताते ,
अब रूपया ,शौहरत किसी को नही भाते।
सीख मिली ना जाने कितनी ,
प्रकृति मे आज खुशहाल दिखती ।
पशु को ना ये बीमारी आऐ,
बस मानव को ही कोरोना सताए।
मानव ने सब अत्याचार मचाए,
पशु ,प्रकृति को बार बार सताए।
मानव अपने रूपये का अंहकार दिखाए
पर आज रूपया काम ना आये ।
बस किसी तरह जीवन बचाऐ।
अच्छे समय ये सब भूल ना जाना
ये ही बातें बाद मे भी अपनाना।
जीवन बडा अनमोल रे बंदे
इसको यूँ ही ना गँवाना।
अंशु शर्मा
लेखिका
चेन्नई, तमिलनाडु