राम का राज्याभिषेक
आश्वस्त हैं राम
अपने धर्म,सभ्यता
और संस्कृति से
परंतु
आशंकित है
वर्षों बाद घर वापसी में,
मंथरा का (दासो का) कुनबा
पूँछ सकता हैं उनका नाम
और जन्मस्थान -!!!
सीता
तुम पुरूष
चित्त से सोचना
मानवीय आचरण के राम
मर्यादा के पुरूषोत्तम राम
तुम्हारे लिए वन वन
भटके राम
कितना कठिन है
किसी देवता का मनुष्य बनना -!!!
उर्मिला
की स्मृतियों से
निकले असीम प्रश्न
लक्ष्मण के वक्ष पर
करेंगे प्रहार
युगों-युगों तक
स्वर में विषाद के तीर
बुझने तक -!!!
राम के
राज्याभिषेक में
भरत खड़ाऊँ लेकर नहीं
युद्ध में मारे गए
लाखों अतृप्त आत्माओं का
बोझ लिए खड़े हैं
जिन्हें पता था
रावण का
एक सिर अभी जिंदा हैं
वह उगा सकता हैं
अनगिनत खोपड़ियाँ -!!!
त्रिलोचना कौर
साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश