विरासत का वर्तमान

 

विरासत का वर्तमान

आखिर, जिस बिहार का अतीत इतना गौरवशाली रहा है आज वह इतना विकृत कैसे हो गया। बिहार में न तो प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और न ही योग्यता की। आखिर वो कौन-से कारण हैं जिनके कारण रोजी-रोटी कमाने बिहारियों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। कुछ तो होगा। ऐसा सब दिन नहीं था।

बिहार भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, माँ जानकी और कई सूफी संतों की पवित्र भूमि है। यह चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, विक्रमादित्य और शेरशाह सूरी जैसे महान शासकों की भी भूमि रही है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र यहीं पर लिखी। वात्सयायन ने कामसूत्र यहीं पर लिखा, बाल्मीकि रामायण यहीं लिखी गयी। चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक यहीं पर हुए। यहीं के आर्यभट्‌ट ने शून्य का ज्ञान दिया। भारती ने शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में निरुत्तर यहीं किया था। यहाँ तोता भी संस्कृत में शास्त्रार्थ किया करता था।

बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों, महाकाव्यों आदि ग्रन्थों में मिलता है, जिससे पता चलता है कि भारत ही नही दुनिया का सबसे पहला गणराज्य बिहार के वैशाली में स्थापित किया गया था। आज से 26 सौ साल पहले बिहार को सबसे ज्यादा शांतिप्रिय यानी अहिंसा प्रिय भूमि कहा जाता था। बोधगया और पावापुरी में लोग शांति प्राप्त करने के लिए आते थें। यहाँ आना आज भी आना जारी है। भारत के चार महान राजा इसी बिहार से थें। सम्राट अशोक, राजा विक्रमादित्य, समुद्र गुप्त और चंद्रगुप्त मौर्य। प्रचीन काल में यहाँ की संस्कृति और सत्ता इतना समृद्ध था कि इसके बारे में अध्ययन करने के लिए दुनिया भर से लोग बिहार आया करते थें।

प्राचीन काल में बिहार देश की व्यापारिक राजधानी हुआ करती थी। तब भारत का 40 प्रतिशत व्यापार सिर्फ बिहार में (मगध, वैशाली, मिथिला, विदेहा, अंग, साक्य प्रदेश, विज्जी, जनका) में हुआ करता था। इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना भारत का है।

जनसंख्या की दृष्टीकोण से बिहार भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की आबादी लगभग 10 करोड़ 38 लाख थी, जो साल 2020 में 12 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। भारत के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा युवा बिहार में रहते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक यहाँ 2.8 करोड़ आबादी 15 से 30 वर्ष की आयु के हैं।

बिहार कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ 80 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। इसके बावजुद कृषि क्षेत्र में विकास नही हो पा रहा है। इसका मूख्य कारण प्राकृतिक आपदा है। ये एक ऐसी समस्या है, जो आजादी के 72 सालों के बाद भी बाढ़ तथा सूखा बिहार की नियति बने हुए हैं और प्रति वर्ष करोड़ों रुपये व्यय करने पर भी समस्या का हल नही हो पा रहा है। यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में विकास रूकी हुई है, क्यूंकि नेताओं में इच्छा शक्ति नहीं है। बिहार में कृषि की विकास दर 3.7 प्रतिशत है, जो रोजगार की दृष्टि से धीमी गति है।

बिहार की जब बात होती है तो ज्यादातर लोगों का ध्यान गरीबी, बेरोजगारी या अशिक्षा पर केन्द्रित होता है। बिहार में अशिक्षा, ग़रीबी व बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। यहाँ लगभग 27 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे हैं। लगभग 17.5 प्रतिशत आबादी बेरोजगार हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 13 प्रतिशत है। बिहार की साक्षरता दर 63.82% हैं, जिसमे पुरुष साक्षरता दर 73.39% हैं, जबकि महिला साक्षरता दर 53.33 % हैं। ये सभी आंकड़ें बिहार के लोगों को ग़रीबी में जीने के लिए मजबूर करती हैं।

कई समस्याओं के बावजुद बिहार में बहुत पढ़े-लिखे, बुद्धिमान लोग भी हैं, फिर भी उनके पास नौकरी नहीं है। देश को सबसे ज्यादा आईएएस दोने वाला राज्य बिहार है(हर 12 वां आईएस बिहारी है), जिसकी काबीलियत से हर कोई वाक़िफ़ है और हर कोई जानता है कि इस राज्य में जितनी क्षमता है, उतनी दो राज्यों को मिलाने पर भी नहीं होगी। बस इन्हें अवसर की जरूरत है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सबसे ज्यादा iit के छात्र प्रतिवर्ष बिहार से ही चुन कर जाते हैं, उसके बाद भी बिहार का कहीं से भी विकास होता नहीं दिख रहा है नहीं हो पा रहा है।

 

क्यों…….? इसका उत्तर आज मैं आपके पाले में छोड़ देता हूँ।

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार अपने ट्वीट में बिहार की वर्तमान दशा और दिशा पर व्यंग्य करते हुए लिखा था पाकिस्तान को अगर कश्मीर चाहिए तो उसे साथ में बिहार भी लेना पड़ेगा अन्यथा दोनों में से कोई नहीं मिलेगा। काटजू ने भले ही यह बात व्यंग्य में कहा है, लेकिन यह वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बिहार की स्थिति का सटीक चित्रण करता है।

चलते -चलते

एक बार की बात है- तीन व्यक्ति बड़ी गंभीर मुद्रा में यमलोक में बैठे हुए थे काफी देर से। यम लोक के राजा यमराज ने उन्हें अपने दूत से सन्देश भेजकर अपने पास बुलाया और उनके चिंतित होने की वजह जानना चाहा। तीनों ने समवेत स्वर में कहा कि हमें अपने- अपने राज्य की बहुत याद आ रही है, आप तो कालदर्शी हैं और कृप्या हमारी मदद करें। तब यमराज ने बोला ठीक है पूछो…..पर मेरी भी एक शर्त है कोई आशीर्वाद वेगरह मत माँगना….मुझे बेवकूफ बना कर।
उन तीनो लोगों ने यमराज से एक ही प्रश्न पूछा- प्रभु सिर्फ यह बताएं कि हमारे राज्यों का भविष्य क्या है और वह कितना विकास करेगा। यमराज ने नीचे पृथ्वी की तरफ देखा और गुजराती भाई से कहा तुम्हारा राज्य बहुत विकाश करेगा, दूसरा व्यक्ति जो दक्षिण भारत के किसी राज्य का था उसे भी यमराज ने कहा कि तुम्हारा भी राज्य बहुत आगे जाएगा और दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करेगा।
अंत में बारी एक बिहारी की थी प्रश्न पूछने की। उसने भी वही प्रश्न किया जो अन्य दोनों ने किया था कि मेरे राज्य का क्या भविष्य है और यह कितना विकास करेगा?
काफी समय तक गणना करने के बाद यमराज ने उत्तर दिया ……’मेरे जीवन काल में भी नहीं’।

विशेष हार्दिक बधाई अपने उस पूर्व मुख्यमंत्री को —– जो महज हमारे कंस इस लिए नहीं हैं कि वे हमारे जानवरों का चारा खा गए, बल्कि वे हमारे लिए बख्तियार खिलजी हैं जिन्होंने हमारी पुस्तकों को जला दिया, हमारी पहचान को छीन लिया। विशेष शुभकामनायें हमारे दूसरे रहनुमा को भी…… जिन्होंने हमें जातियों में बुरी तरह बाँट कर शासन किया…..उन बिहारियों को भी हार्दिक बधाई जो बिहार से निकल कर फिर कभी बिहार की भलाई के लिए मुड़ कर नहीं देखा और सोचा। और अपनी पहचान छुपा कर बिहार को ही सबसे ज्यादा गाली दिया है।

दुनिया के कोने-कोने में बसे एक-एक बिहारियों को बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनायें……

आज विकट परिस्थितियों में कोरोना लेकर आओ चाहे कोई भी समस्या ……. हम तहेदिल से आपका स्वागत करेंगे, मिल कर एक साथ लड़ेंगें इस समस्या से। आप प्रवासी बिहारी एक तमाचा हैं सरकार के चेहरे पर- जो अपने ही प्रान्त में एक दिहाड़ी मजदूरी जैसी रोजगार भी पिछले 30 वर्षों में सुनिश्चित नहीं करा सकी। अन्य प्रान्तों को जब तक अपनी स्वार्थ सिद्धि होती रही तब तक आपको अपना मजदुर बना कर रखा, आज जब परदेश में आपको एक सहारे की जरुरत थी …….तो आप अपने को निहायत बेसहारा होकर निकल भागने को बाध्य हो गए।

मुझे गर्व है कि मैं बिहारी हूँ ……एक बिहारी सब पर भारी

डॉ नीरज कृष्ण
वरिष्ठ साहित्यकार
पटना, बिहार

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