हिन्दी

हिन्दी 

 

मैं भारत की बेटी,

आपकी आपनी हिन्दी हूँ

हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ

भारतीय संस्कृति सभ्यता के

ललाट पर सजी मैं बिंदी हूँ

हर कोई मुझे सजा रहा है

मुझे वसन नए पहना रहा है

शोभा हूँ मैं इस युग की

नहीं काग़ज़ की चिन्दी हूँ

हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ

मैं भारत की बेटी

आपकी अपनी हिन्दी हूँ ,

हर दिल को हर्षाती हूँ मैं

नित्य फूल नए खिलाती हूँ मैं

सभी के मन को भाती हूँ मैं

काम सभी के आती हूँ मैं

मुझसे पढ़ना लिखना सीखों

मुझसे तुम संवरना सीखो

सुथरी हूँ , नहीं गन्दी हूँ

हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ

मैं भारत की बेटी

आपकी अपनी हिन्दी हूँ।

 

डॉ. टी. रवीन्द्रन

बेंगलुरू, भारत

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