स्त्रीयोचित गुण ही सशक्तिकरण

स्त्रीयोचित गुण ही सशक्तिकरण

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष की तरह 8 मार्च को आ गया | पिछले दिनों भारतीय महिलाओं ने शारीरिक मानसिक ,राजनैतिक आर्थिक सभी दंश झेले हैं | यौन उत्पीड़न का मानसिक त्रास , बलात्कार और घरेलु हिंसा के शारीरिक घाव ,महंगाई की आर्थिक मार , शाहीन बाग़ और दंगों के राजनीतिक प्रभाव कितना कुछ झेला है औरतों ने | इन सबके बावजुद महिला दिवस पर सफल सशक्त,सक्षम,सुसंस्कृत,सुविचारित,सुशिक्षित महिलाएं अपनी उपस्थिति से प्रेरणा स्रोत बनकर आनेवाली पीढ़ी के लिए मशाल बनकर खड़ी दिखती हैं | सदियों से यही होता है और शताब्दियों तक होता रहेगा क्योंकि महिलाओं की ईश्वर प्रदत्त प्रकृति नहीं बदलेगी | उसका मातृत्व, उसकी ममता, उसके आँचल का दूध , उसकी आँखों का पानी , शाश्वत प्राकृतिक गुण हैं जिसे पुरुष नहीं अपना सकता | औरत को सम्पत्ति समझने वाला पुरुष वर्ग जितना भी दबाये , कुचले , पीड़ित करे वह कभी भी स्त्रीयोचित गुणों को दबा नहीं सकता | ईश्वर ने एक मात्र ऐसे प्राणी की सृजन किया जो परिस्थिति के अनुरूप, वातावरण के अनुकूल , अपने इन्ही गुणों के आधार पर सशक्तिकरण की मिसाल बनती है,तथा प्रदर्शिका बनती है , मील के पत्थर स्थापित करती है | मैत्रेयी , गार्गी , लोपा , झाँसी की रानी , रजिया सुल्तान , सरोजनी नायडु, इंदिरा गाँधी से लेकर आधुनिक समाज की सुधा मूर्ति , श्रीमती मृदुला सिन्हा, श्रीमती सीतारमण, श्रीमती भानुमती नीलकंठन, बछेंद्री पाल,अरुणा मिश्रा की जैसी सफलता और संघर्ष की अनेक गाथाएँ हमारे आसपास इतिहास रचती हैं और जीवन का संबल बनती है | आज उन तमाम कही- अनकही, सुनी अनसुनी, जीवन ज्योति का अलख जगाती स्त्री जाति को महिला दिवस पर अनंत अशेष शुभकामनाओं के अक्षत प्रेषित करती हूँ |

डॉ.जूही समर्पिता
प्राचार्या
डी.बी.एम.एस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन
जमशेदपुर, झारखंड

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