मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण और बाबरी मस्जिद का निर्माण

मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण और बाबरी मस्जिद का निर्माण

समूचे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता और संस्कृति हजारों साल से विरासत के रूप में विद्यमान रही है। प्राकृतिक संसाधनों और धन धान्य से संपन्न ये देश अनेकों रियासतों में विभक्त होने के बावजूद विश्व मे प्रमुख स्थान के रूप में पहचाना जाता रहा है। जहाँ सद्भावना और पारस्परिक प्रेम व भाईचारे को हमेशा सर्वोपरि स्थान दिया गया।परंतु कालांतर में विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण के बाद यह विशाल देश सालों से साम्प्रदायिक अलगाववादी ताकतों के हाथों अनेक कष्ट झेलता आया है। ऐसे ही अनेकों किस्से जुड़े हुए हैं देश के विविध भागों पर मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण द्वारा जबरन हथियाने और विध्वंस के प्रयास की जानकारी भी आवश्यक है।

राम जन्म भूमि का इतिहास:

सुप्रसिद्ध गीतकार, लेखक और गायक रवींद्र जैन भी जिस भूमि पर अपने उद्गार अभिव्यक्त करते हुए भावुक हो कर कहते हैं :-

“स्थान जन्मस्थल का स्वर्ग से भी ऊपर है
वर्षों के बाद हुई फिर इसकी वंदना
कण कण इस माटी का स्नेह से सुगंधित है
चन्दन को तुच्छ करे माटी यह चन्दना
माटी को शीष झुका,शीश लगा प्रभु बोले
“ये सुख संतोष कहीं इतना आनन्द ना
सारा जग विचरण कर आज ये आभास हुआ
श्वास कहीं ले पाएं ऐसे स्वच्छंद ना”..रवींद्र जैन

वह पावन स्थल है अवध नगरी यानी अयोध्या, जोकि मूलरूप से मंदिरों का शहर रहा है। कहा जाता है कि अयोध्या नगरी को भगवान श्रीराम के पूर्वज विवस्वान (सूर्य) पुत्र वैवस्वत मनु द्वारा बसाया गया था। इसलिए अयोध्या नगरी में सूर्यवंशी राजाओं का राज महाभारत काल तक रहा। अयोध्या नगरी के दशरथ महल में ही प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ। धन्य-धान्य और रत्न-आभूषणों से भरी इस नगरी की अतुलनीय छटा और खूबसूरत इमारतों का वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. इसीलिए तो महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण में अयोध्या नगरी की शोभा की तुलना करते हुए इसे दूसरा इंद्रलोक कहा है ।

पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के उपरांत तथा महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या के उजड़ जाने और फिर से बसने का वर्णन मिलता है । लेकिन श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या और यहाँ बने श्रीराम मंदिर को एक नहीं बल्कि अनेकों बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अयोध्या को लूट कर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए मुगलों द्वारा अनेकों बार अयोध्या पर आक्रमण किया गया। यहां की धन संपदा को लूटा गया।

मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा हमले:

पिछले 500 सालों में अयोध्या की चर्चा मुगलों के आक्रमण और मंदिर को तोड़े जाने पर केंद्रित रही। काफी विवाद हुआ। हालांकि रामजन्मभूमि पर आक्रमण करने वाला बाबर कोई पहला आक्रमणकारी नहीं था। यह देव नगरी मंदिर के लिए काफी समय तक संघर्ष करती रही। एक समय ऐसा भी आया था जब महारानी स्त्री सेना लेकर मुगलों से भिड़ गई थीं।

बाबर के आने से पहले विदेशी यवन राजा मिनेंडर (मिहिरकुल) अयोध्या आया था। उसके आक्रमण के तीन महीने के भीतर ही शुंग वंश के राजा द्युमत्सेन ने अयोध्या को फिर से मुक्त करा लिया। यही नहीं, सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटने वाले महमूद गजनवी के भांजे मसूद गाजी ने भी अयोध्या पर आक्रमण की कोशिश की थी। बताते हैं कि गाजी दिल्ली, मेरठ, बुलंदशहर को रौंदता हुआ आगे बढ़ रहा था।रास्ते में स्थानीय राजाओं से लड़ाई हुई और वह बड़ी संख्या में देवस्थलों को ध्वस्त करता गया। वह बाराबंकी तक पहुंच गया था और अयोध्या जाना चाहता था। यह साल 1034 की बात है। कौशल के महाराज सुहेलदेव से गाजी का सामना हुआ। महाराजा की ताकतवर सेना ने आतताई मसूद गाजी की 1.30 लाख सैनिकों वाली फौज का सफाया कर दिया। अयोध्या तब सुहेलदेव की उपराजधानी हुआ करती थी।

इन सबके बाद, 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बांकी ने अयोध्या नगरी पर हमला किया और रामजन्म भूमि मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण कराया। जिसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। तब से इस स्थान को हिंदू समुदाय द्वारा अपने आराध्य श्री राम का जन्मस्थान होने का दावा किया जाता रहा। हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में से एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान होना बताया। कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि मंदिर 1528 में नहीं तोड़ा गया, बल्कि औरंगजेब द्वारा नियुक्त फिदायी खान ने 1660 में उसे तोड़ा था। हिंदुओं के दावे के बाद से विवादित जमीन पर नमाज के साथ-साथ पूजा भी होने लगी।

विवादित बाबरी मस्जिद, कुछ तथ्य :

प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने 1528 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था और इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया। 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को मस्जिद-ए-जन्म अस्थान कहा जाता था, इस तरह इस स्थान को हिन्दू ईश्वर, राम की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है।

बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश, भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक थी। हालांकि आसपास के ज़िलों में और भी अनेक पुरानी मस्जिदें हैं, जिनमे शरीकी राजाओं द्वारा बनायी गयी हज़रत बल मस्जिद भी शामिल है, लेकिन विवादित स्थल के महत्व के कारण बाबरी मस्जिद सबसे बड़ी बन गयी। इसके आकार और प्रसिद्धि के बावजूद, ज़िले के मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिद का उपयोग कम ही हुआ करता था और अदालतों में हिंदुओं द्वारा अनेक याचिकाओं के परिणामस्वरूप इस स्थल पर राम के हिन्दू भक्तों का प्रवेश होने लगा। इस पर चल रही राजनैतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक बहस को “अयोध्या विवाद” के नाम से जाना जाता है।

 

अनेकों प्रकार की मुश्किलों का सामना करने के बाद और लगभग पांच सौ वर्ष का संघर्ष और सवा सौ वर्षों के अदालती मुकदमें को जीत कर राम मंदिर के निर्माण की सारी बाधाएं समाप्त हुई। अंततः अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ जिसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई। पाँच अगस्त 2020 को भारत के प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमिपूजन अनुष्ठान किया गया था और मन्दिर का निर्माण आरम्भ हुआ था। 22 जनवरी 2024 को पूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजमान कराया जाया।अब तो ‘प्रीति दुबे’ के शब्दों में:

हुई पूर्ण प्रतीक्षा जन-जन की
‘लाल’ का स्वप्न साकार
अवध में प्रकट भए श्री राम
निभाने रघुवर-रघुकुल रीत
पधारे जन्मभूमि भगवान।

अवधपति जीत गए संग्राम
‘मंगल’ को हुआ मंगल ही काम
‘बुध’ को होगा शुभ श्री गणेश
मिटेंगे जन जनता के क्लेश
होगा ‘नव’ निर्माण विशेष
विराजेंगे सिंहासन राम।।

सीमा भाटिया
पंजाब, भारत

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