दंगों के बाद

दंगो के बाद

दंगो के बाद वाला आसमान
काला होता है
कालिख बहुत दिन तक गिरती रहती है
समाज के सर

दंगो के बाद
खतरनाक होता है
राजनीति करना
दंगो के बाद की राजनीति लेकिन
सबसे खतरनाक होती है

एक जली इमारत
दूसरी को देखती है
पूछती है
तुम्हे क्यों जलाया
जली इमारत रुआंसी है
बताती है
मुल्क गिराने वाले सोचते हैं
कि मुल्क इमारतों से बनता है

मुझे दिल्ली से आगे जाना है दोस्त
दिल्ली से गुजरते हुए
कोई उपाय बताओ
कि दिल्ली मेरे भीतर ना गुजरे
मेरी आँख का कोई कोर गीला ना हो
मेरे सीने में ना उठे कोई टीस
मैं निकल जाऊँ बेखबर
जैसे लाल बत्तियां निकल जाती हैं
सायरन में बौराई
बिना कोई आंसू गिराये

बेटा
पूछता है
पापा
ये राजनीतिक रोटियां क्या होती हैं
आप बताएं
मैं क्या जवाब दूँ उसको

 

वीरेंदर भाटिया

साहित्यकार

हरियाणा

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